शुरू में कई तरह की विसंगतियां इस योजना में देखने को मिली थीं, लेकिन बाद में इसमें सुधार लाने के लिए निगम के माध्यम से लोगों को योजना का लाभ देने का फैसला लिया गया. इसके लिए निगम के विकास शाखा कार्यालय में अलग प्रशाखा का गठन किया गया है. सूत्रों की माने, तो दो अक्तूबर 2017 तक 30 वार्डों को खुले में शौचमुक्त घोषित करने के लिए विशेष तौर पर काम किया जा रहा है. इन वार्डों में शौचालय बनाने का काम शुरू हो गया है या फिर कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है.
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तैयारी: 13665 घरों में शौचालय के लिए कागजी कार्रवाई पूरी, 2019 तक निगम क्षेत्र होगा खुले में शौचमुक्त
गया: नगर निगम को 2019 तक खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) बनाने का लक्ष्य है. इसके लिए जोर-शोर से काम किया जा रहा है. लगभग सभी घरों में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाएं व टैक्स कलेक्टरों को लगाया गया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार द्वारा […]
गया: नगर निगम को 2019 तक खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) बनाने का लक्ष्य है. इसके लिए जोर-शोर से काम किया जा रहा है. लगभग सभी घरों में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाएं व टैक्स कलेक्टरों को लगाया गया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार द्वारा साफ तौर पर निर्देश दिया गया है कि पूरे शहर को खुले में शौच मुक्त जल्द-से-जल्द घोषित किया जाये. इस दिशा में निगम के कर्मचारी विशेष तौर पर अभियान चलाकर काम कर रहे हैं.
खुले में शौचमुक्त वार्ड घोषित करने के नियम : खुले में शौचमुक्त वार्ड घोषित करने के लिए कई स्तर पर काम करना होगा. इसमें सबसे पहले हर घर में व्यक्तिगत शौचालय, वार्ड में सामुदायिक शौचालय, यूरिन डिस्चार्ज के लिए जगह होना अतिआवश्यक है. इन सब के होने के बाद वार्ड में हर जगह डस्टबीन का इंतजाम होना जरूरी रखा गया है. इसके बाद भी अगर लोग खुले में गंदगी फैलाते हैं, तो उन पर जुर्माना करने का प्रावधान है. सभी चीज पूरी होने के बाद वार्ड में स्थित सरकारी स्कूलों के प्रधान, वार्ड पार्षद, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं व मेयर को वार्ड को खुले में शौचमुक्त घोषित करने से पहले सर्टिफिकेट देना होगा. इसके बाद ही किसी वार्ड को खुले में शौचमुक्त घोषित किया जा सकता है.
सभी वर्गों के लोगों को मिलना है लाभ
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने के लिए मिलने वाले सहयोग के तौर पर किसी खास वर्ग के लोगों का चयन नहीं करना है. इसमें साफ दिशा-निर्देश है कि जिनके घरों में अब तक शौचालय नहीं हैं, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाये. जांच-पड़ताल का काम पूरा होने के बाद लाभुक को वर्क ऑर्डर दिया जाता है. इसके बाद शौचालय बनाने के लिए खुद के मेहनत से गड्ढा खुदाई करना होता है. गड्ढा खुदाई के बाद प्रथम किस्त के तौर पर 7500 रुपये व दूसरी किस्त के तौर पर 4500 रुपये देने का प्रावधान है.
युद्ध स्तर पर चल रहा है काम
शहर को खुले में शौचमुक्त घोषित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है. दो अक्तूबर से पहले 30 वार्डों को ओडीएफ घोषित करने की योजना बनायी गयी है. 2019 तक पूरे शहर को ही ओडीएफ घोषित कर दिया जायेगा. इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं व टैक्स कलेक्टरों की सहायता ली जा रही है.
राजमणि गुप्ता, सिटी मैनेजर
इन वार्डों को करना है ओडिएफ घोषित
दो अक्तूबर तक खुले में शौचमुक्त घोषित करने के लिए 30 वार्डों का चयन किया गया है. इनमें, 01, 01, 03, 04, 08, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 32, 33, 35, 37, 38 व 40 शामिल है.
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