गया: प्राचीन व ऐतिहासिक शहर गयाजी की सड़कों पर ही फल-सब्जी की दुकानें लगती है. वाहनों की बढ़ती संख्या व आबादी के हिसाब से शहर की सड़कें नाकाफी जो है ही, ऊपर से सड़कों किनारे लगने वाली दुकानों से चलना भी दुभर है.
वाहनों की कौन पूछे, लोग पैदल चलने के लिए फुटपाथ तलाशते नजर आते हैं. हद तो तब हो जाती है जब फुटपाथी दुकानदार दादागीरी करने लगते हैं. उनकी दुकानों के सामने थोड़ी देर के लिए भी वाहन खड़ा करने पर लोगों को उनकी ङिाड़की सुननी पड़ती है. शहर के कमोबेश सभी मुख्य सड़कों के किनारे फलों व सब्जियों की दुकानें लगी हुई है. चाहे केपी रोड, जीबी रोड या चर्च रोड (गांधी मैदान) हो. नतीजा यह है कि, सड़कों पर सब्जी मंडी है या फिर सब्जी मंडी के बीच सड़क है यह तय कर पाना मुश्किल हो गया है. इससे लोगों की परेशानी कितनी बढ़ी है यह अंदाजा लगाया जा सकता है.
नगर निगम की उदासीनता है कारण: नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर के फुटपाथी दुकानदारों को अब तक ठौर नहीं दिया गया है. निगम प्रशासन ने दुकानदारों को बसाने के लिए गांधी मैदान स्थित चर्च के पास बाजार प्रांगण का निर्माण कराया था. 11 फरवरी, 2001 को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बाजार प्रांगण का उद्घाटन किया था. प्रांगण में कुल 64 दुकानें बनायी गयी थीं. केदारनाथ मार्केट में व्यवसाय कर रहे सब्जी व फल के दुकानदारों (150 से ज्यादा)को निगम प्रशासन द्वारा बाजार प्रांगण में भेज दिया गया. तब हर दुकानदार से दो-दो सौ रुपये की रसीद काटी गयी थी.
दुकानदारों के अनुसार, बाजार प्रांगण में शिफ्ट होने के बाद किसी भी दुकानदार को दुकानें आवंटित नहीं की गयी. साथ ही, तंग व काफी कम जगह में बनायी गयी दुकानों में व्यवसाय करना महंगा पड़ने लगा. ग्राहकों की भीड़ भी नहीं दिखने लगी. अंत में एक-एक कर सभी दुकानदार बाहर सड़कों पर अपनी दुकान लगाने लगे. काफी दिनों तक यह सब चलता रहा. प्रशासन मूकदर्शक बना रहा. इसके बाद ‘निजाम बदला तो फरमान बदला’ वाली कहावत के अनुसार, दुकानदारों को यहां से भी हटा दिया गया. दुकानदारों ने दोबारा चर्च के समीप व शौचालय के आसपास अपनी दुकानदारी शुरू कर दी.