गया: एइएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) दस्तक दे चुका है. मॉनसून के साथ जापनी इनसेफ्लाइटिस भी दस्तक दे सकता है. इससे बचाव के लिए राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों में शत-प्रतिशत दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दे रखा है. लेकिन, एएनएमएमसीएच में आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस कारण मरीजों के परिजनों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. अस्पताल के बच्च वार्ड में वर्तमान में एइएस के तीन मरीज इलाजरत हैं.
इससे पहले भी कई मरीज भरती किये जा चुके हैं. उनमें तीन की मौत हो चुकी है. लेकिन, इस बाबत रिपोर्ट न तो राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी गयी है और न ही स्वास्थ्य विभाग को. अस्पताल अधीक्षक ने भी रिपोर्ट पर अनभिज्ञता जतायी है. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, एक माह में एइएस से पीड़ित एक दर्जन से अधिक बच्चे इमरजेंसी व बच्च वार्ड में भरती हो चुके हैं.
इनमें से तीन की मौत हो चुकी है. बताया जाता है कि दो की मौत इमरजेंसी वार्ड में भरती होने के महज कुछ घंटे बाद ही हो गयी, तो एक की मौत बच्च वार्ड में इलाज के दौरान. फिलहाल, एइएस से पीड़ित तीन बच्चे अस्पताल के बच्च वार्ड में इलाजरत हैं. इनमें बेड नंबर-31 पर पांच वर्षीय प्रियंका कुमारी इमामगंज थाने के दुखदपुर गांव निवासी मिथलेश यादव की पुत्री है. वह बुधवार को पूर्वाह्न् 11:45 में भरती हुई. मिथलेश यादव ने बताया कि डॉक्टर बाहर की दवा कच्चे चिट्ठे पर लिखते हैं. उन्होंने खरीदी गयी दवाएं दिखाते हुए बताया कि यह सब 370 रुपये की हैं. बेड नंबर 28 पर गुरुआ थाना के नाम नगर गांव निवासी अरुण मांझी की 11 साल की बेटी 20 मई से भरती है.
उसकी मां सोना देवी दवा ने बताया कि दो हजार रुपये से अधिक की दवा बाहर से खरीदनी पड़ी. तीसरा मरीज महज ढ़ाई माह का हिमांशु राज है, जो बांकेबाजार थाना के जमुआरा खर्द गांव निवासी महंथ प्रसाद का पुत्र है. वह 29 अप्रैल से ही बेड नंबर 36 पर इलाजरत है. इससे पूर्व नीमचक बथानी निवासी कवींद्र राम का तीन वर्षीय पुत्र धनराज 24 अप्रैल को भरती हुआ था, जिसकी अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है. करहरी (टिकारी) निवासी विनय दास के पुत्र विमलेश कुमार की मौत 10 मई को हो चुकी है.