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दुर्दशा. जहां यात्री मिले, वहीं हो गया स्टैंड

गया: शहर में नगर निगम द्वारा निर्धारित ऑटो स्टैंड के अलावा भी कई जगह ऑटो स्टैंड बना लिये गये हैं. ये सभी स्टैंड अवैध ही हैं. अब अवैध ऑटो स्टैंडों के साम्राज्य से शहर में हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है. इन अवैध स्टैंडों से हर किसी को परेशानी होती है. नेताओं से […]

गया: शहर में नगर निगम द्वारा निर्धारित ऑटो स्टैंड के अलावा भी कई जगह ऑटो स्टैंड बना लिये गये हैं. ये सभी स्टैंड अवैध ही हैं. अब अवैध ऑटो स्टैंडों के साम्राज्य से शहर में हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है. इन अवैध स्टैंडों से हर किसी को परेशानी होती है. नेताओं से लेकर अफसरों तक की फजीहत होती है. आमलोगों को कौन पूछता है. पर, अवैध कारोबार के खिलाफ कहीं से कोई आवाज नहीं उठती.
शहर में बेतरतीब ढंग से ऑटो लगाना सामान्य बात है. नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थल पर ऑटो न लगा कर कहीं और लगाया जाता है. ऑटोवालों की तरफ से सोचें, तो लगता है कि नगर निगम द्वारा ऑटो स्टैंड के नाम पर सैरात की बंदोबस्ती तो कर दी जाती है, पर जरूरी सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जाता. चौक ऑटो स्टैंड की बात करें, तो यहां नगर निगम द्वारा सैरात की बंदोबस्ती करायी गयी है. लेकिन, यहां यात्रियों के ठहरने व पानी तक की व्यवस्था नहीं है. इधर, जिला स्कूल पूर्वी गेट के नाम पर स्टैंड की बंदोबस्ती है, लेकिन ऑटो पश्चिमी गेट पर लगाये जाते हैं.
जगह चिह्नित नहीं होने के कारण परेशानी : शिक्षित बेरोजगार ऑटो चालक संघ के सचिव श्यामसुंदर प्रसाद ने कहा कि जगह चिह्नित नहीं होने के कारण इधर-उधर ऑटो लगाना पड़ता है. ऑटोचालकों को परिवार इसी से चलाना होता है. रोड पर लगाने पर पुलिसवाले तंग करते हैं. खाली जगह खोज कर ही ऑटो लगाना पड़ता है. नगर निगम को चाहिए कि स्टैंड की जगह चिह्नित कर ऑटोचालकों को उपलब्ध कराये. इसके बाद कोई बेतरतीब ऑटो लगाता है, तो कार्रवाई करे.
उन्होंने कहा कि ऑटो संघ द्वारा चालकों से पांच रुपये की वसूली रिलीफ फंड में जमा करने के लिए की जाती है. इस पैसे से मजबूरी के वक्त चालकों की मदद की जाती है.
गांधी मैदान में बना स्टैंड
गांधी मैदान को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए ‘प्रतिज्ञा’ संस्था द्वारा हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. इसके बाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पिछले जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के निर्देश पर गांधी मैदान में दुकान व सब्जी मार्केट को तोड़ा गया था. इसके बाद अब चर्च के बगल में गांधी मैदान के अंदर ऑटो स्टैंड बना लिया गया है. इसी रास्ते से होकर अधिकारी सैकड़ों बार गुजरते हैं, पर किसी की नजर इस ओर नहीं गयी. इस जगह से कटारी व डेल्हा के लिए ऑटो मिलते हैं. ‘प्रतिज्ञा’ के संयोजक बृजनंदन पाठक का कहना है कि प्रशासन की तरफ से ऑटो स्टैंड के लिए कोई जगह चिह्नित नहीं की गयी है. इन लोगों के पास भी मजबूरी होती है कि सवारी जिस जगह मिलती है, उसी जगह गाड़ी लगा लेते हैं. पर, यह गलत है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
रोड पर ऑटो लगने से लगता है जाम
जिला स्कूल पूर्वी गेट व चौक ऑटो स्टैंड के अलावा शहर में कोई भी स्टैंड वैध नहीं है. आज हालात यह है कि अधिकतर जगहाें पर अवैध अॉटाे स्टैंड ही हैं. इनमें बाइपास मोड़, चांदचौरा, राजेंद्र आश्रम कोना, दिग्घी तालाब, गेवालबिगहा, गया कॉलेज, गांधी मैदान, गौरक्षणी मोड़, सिकरिया मोड़ व मेडिकल गेट हैं. बाइपास से कचहरी, स्टेशन, गेवालबिगहा, बोधगया, पहाड़पुर व मानपुर की सवारी बैठायी जाती है. राजेंद्र आश्रम कोना से बोधगया, दिग्घी तालाब से स्टेशन, चौक, मेडिकल व बोधगया, गेवालबिगहा से मेडिकल, डेल्हा, चौक, स्टेशन, बाइपास आदि, गया कॉलेज से डेल्हा, स्टेशन, चौक व डेल्हा, गौरक्षणी मोड़ से मानपुर, बाइपास आदि, सिकरिया मोड़ से बोधगया, मेडिकल, चेरकी, डोभी आदि की सवारी बैठायी जाती है. यहां सभी जगह सड़क पर ऑटो लगाये जाते हैं. इससे हर वक्त जाम लगा रहता है.
नगर निगम द्वारा दो ही ऑटो स्टैंड की बंदोबस्ती की गयी है. जिला स्कूल पूर्वी गेट के लिए बंदोबस्ती की गयी है. यहां पर भी दूसरी जगह ऑटो लगाये जाते हैं. इस व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जिला प्रशासन से मदद के लिए लिखा गया है. उम्मीद है 10 जून के बाद कार्रवाई की जायेगी.
विजय कुमार, नगर आयुक्त
रोड पर ही वसूला जाता है फाइन
ट्रैफिक पुलिस व अधिकारी रोड पर ही ऑटोचालकों से फाइन वसूलते हैं. ऐसे भी चौक ऑटो स्टैंड के लिए 30 फुट जगह दी गयी है, जहां पर 10 ऑटो भी खड़े नहीं किये जा सकते. शहर में 13 हजार ऑटो चल रहे हैं. नगर निगम को स्टैंड के लिए जगह उपलब्ध करानी चाहिए. इसके बाद ही इस व्यवस्था में सुधार लायी जा सकती है.
प्रदीप कुमार, ट्रैफिक इंस्पेक्टर

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