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बोधगया में खाद बनाना सीख रहे आठ राज्यों के किसान

बोधगया: भारत रूरल आजीविका फाउंडेशन (बीआरएलएफ) द्वारा बोधगया में कृषि पर आधारित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार को किया गया. इसमें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात व पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल जिलों में किसानों के हित में कामकाज करनेवाले स्वयंसेवी संस्थान के प्रतिनिधि शरीक हुए. इस दौरान बीआरएलएफ के प्रोग्राम […]

बोधगया: भारत रूरल आजीविका फाउंडेशन (बीआरएलएफ) द्वारा बोधगया में कृषि पर आधारित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार को किया गया. इसमें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात व पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल जिलों में किसानों के हित में कामकाज करनेवाले स्वयंसेवी संस्थान के प्रतिनिधि शरीक हुए. इस दौरान बीआरएलएफ के प्रोग्राम ऑफिसर राजीव कुमार राउल व गया की संस्था प्राण (प्रिजर्वेशन एंड प्रोलिफरेशन ऑफ रूरल रिसोर्सेज एंड नेचर) के प्रमुख अनिल कुमार वर्मा ने प्रशिक्षण दिया.

प्रतिनिधियों को प्रकृति के विधि के अनुरूप प्राकृतिक संसाधनों (मानव संसाधन सहित) द्वारा जैविक खाद, फफूंदीनाशक व कीटनाशक बनाने से संबंधित जानकारी दी गयी. बीआरएलएफ के प्राेग्राम ऑफिसर राजीव कुमार राउल ने बताया कि बीआरएलएफ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्वायत सेवी संस्था है. देश के आठ राज्यों जैसे- झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात व पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल जिलों में छोटे व सीमांत किसानों के विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से जैविक कृषि का शुरुआत करने जा रही है.

इसके तहत श्रीविधि से खेती करने व नन पेस्टिसिडल मैनेजमेंट पर प्रशिक्षण कार्यशाला सात दिनों तक चलेगा. बीआरएलएफ ने गया की संस्था प्राण व हैदराबाद की संस्था सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को चार वर्षों के लिए तकनीकी संस्थान की जिम्मेवारी दी गयी है. विभिन्न स्वयंसेवी संस्थानों जैसे- बायफ, प्रसटी, ल्यूपिन फाउंडेशन, प्रदान सहित अन्य संस्था के प्रतिनिधियों को उक्त प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग दी जा रही है.

झारखंड राज्य से झारखंड राज्य आजीविका मिशन के प्रतिनिधि भी इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के अंतर्गत दो दिनों के लिए गया की संस्था प्राण की परियोजना गांवों में प्राकृतिक व जैविक खाद, फफूंदीनाशक व कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बीआरएलएफ की ओर से गया की संस्था प्राण व हैदराबाद की संस्था सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के साथ अनुबंध होगा और इनके प्रतिनिधि उक्त राज्यों के किसानों को प्रशिक्षण देंगे.

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