गया: स्वयंसेवी संस्था ‘समर्पण’ के तत्वावधान में गया-फतेहपुर रोड स्थित गंजास गांव में गुरुवार को सर्वधर्म समभाव के तहत प्रार्थना सभा आयोजित कर तीन नि:शक्त छात्रों को आदित्य नारायण ‘नीशु’ स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अन्य चार को सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया. इस मौके पर बेसहारा वृद्ध महिलाओं के लिए प्रतिमाह तीन सौ रुपये पेंशन देन की भी शुरुआत की गयी. ‘समर्पण’ के संस्थापक सह चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ संकेत नारायण ने गंजास गांव में एक स्कूल खोलने व विधवा, विकलांग, लाचार, असहाय, कुष्ठ पीड़ितों, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों व आंबेडकर कल्याण छात्रवास के छात्रों को आजीवन नि:शुल्क इलाज करने व हर संभव मदद करने की भी घोषणा की.
गौरतलब है कि डॉ सिंह के एकमात्र पुत्र आदित्य नारायण उर्फ नीशु की आकस्मिक मौत पिछले साल 15 अक्तूबर को एक सड़क दुर्घटना में गया-फतेहपुर रोड स्थित गंजास गांव के समीप हो गयी थी. उनकी स्मृति में जन्मदिन के मौके पर सर्वधर्म समभाव के तहत प्रार्थना सभा आयोजित की गयी, जिसमें विभिन्न धर्म-संप्रदाय व जाति के लोगों ने उपस्थित होकर सबसे पहले ‘नीशु’ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण कर प्रार्थना की गयी.
सभा की अध्यक्षता गंजास के ग्रामीण जगदीश यादव व संचालन स्वयं डॉ सिंह ने की. डॉ सिंह ने अपने उद्गार में कहा कि छोटी-सी गलती के कारण उनका एकमात्र पुत्र ‘नीशु’ उनके बीच नहीं है. ऐसी गलती अन्य बच्चे नहीं करें, वही नीशु के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. इसके लिए बच्चों को माता-पिता व गुरु का आज्ञाकारी होना होगा. बगैर इजाजत के न कहीं जायें और न कोई काम करें. वरिष्ठ साहित्यकार गोवर्धन प्रसाद सदय ने कहा कि मानव सेवा, मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है. इसी के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. ताकि, मानवता का गुण सभी लोगों में विकसित हो सके व सभी धर्म के लोगों के बीच सद्भाव बना रहे. पादरी रानू घोष ने कहा कि सभी धर्म के लोगों का प्रभु एक ही है. मौलाना उमर नूरानी ने कहा कि डॉ संकेत नारायण ने पैसे कमाने की बजाय खुद का घर जला कर समाज को रोशनी देकर सभी धर्म के लोगों का दिल जीता है.
‘समर्पण’ ने तीन वैसे छात्रों को हर साल आदित्य नारायण ‘नीशु’ स्मृति पुरस्कार देने का निर्णय लिया है, जो नैतिक रूप से समाज में आदर्श स्थापित करने की योग्यता रखता हो. माता-पित व गुरुजनों के प्रति श्रद्धा-सम्मान व शिष्टाचार का पालन करता हो और आर्थिक रूप से कमजोर, लाचार होते हुए भी मेधावी हो. यह पुरस्कार देने का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति के अनुकूल मानवीय गुणों का विकास करना, उच्च शिक्षा का जिज्ञासा रखने वाले छात्रों को आर्थिक मदद प्रदान करना व समाज व राष्ट्र के विकास में सहभागी बनना है. इस मौके पर बड़ी संख्या में गण्यमान्य लोग उपस्थित थे.