कार ने बाप-बेटे को रौंदा, बेटे की मौत (लीड)पीएचसी में बिना इलाज रेफर कर देने के कारण बच्चे ने रास्ते में तोड़ा दमपिता के दायें पैर में फ्रैक्चर, कमर में भी गंभीर चोट ताड़ी दुकान बंद कर साइकिल से घर लौट रहे थे दोनों फोटो-प्रतिनिधि, डुमरियाडुमरिया–इमामगंज मुख्य पथ पर सिद्धपुर के पास शनिवार को एक बेकाबू कार ने साइकिल सवार बाप-बेटे को रौंद दिया और फरार हो गया. पता चला है कि उमेश चौधरी व 12 साल का उनका बेटा पप्पू कुमार ताड़ी दुकान बंद कर घर लौट रहे थे. इसी दौरान सिद्धपुर के पास हादसा हुआ. हादसे में दोनों गंभीर रूप से जख्मी हो गये. आसपास के लोगों ने बाप-बेटे को डुमरिया पीएचसी में भरती कराया. लेकिन, वहां डॉक्टरों ने बिना इलाज या चेकअप के उन्हें मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. इस पर उनके परिजनों ने एंबुलेंस की मांग की. स्वास्थ्य प्रबंधक ने बताया कि एंबुलेस खराब है. (स्थानीय सूत्रों की मानें तो एक महीना पहले ही लाखों खर्च कर एंबुलेंस को दुरुस्त कराया गया है.) थक-हार कर परिजनों ने किराये की गाड़ी ली और मेडिकल के लिए निकले. इसी दौरान रास्ते में पप्पू कुमार ने दम तोड़ दिया. बेटे की मौत के बाद परिजनों ने पिता उमेश यादव को मेडिकल ले जाने के बजाय डुमरिया के ही एक प्राइवेट क्लिनिक ले गये. डॉक्टर ने बताया कि उमेश के दायें पैर में फ्रैक्चर है, कमर में भी गंभीर चोट है. पांच घंटे तक जाम रहा डुमरिया-इमामगंज रोड इधर, हादसे में किशोर के मारे जाने के बाद गुस्याये लोगों ने डुमरिया–इमामगंज मुख्य सड़क को सिद्धपुर गांव के पास पांच घंटा जाम रखा. गाड़ियां जहां-तहां फंसी रहीं. सूचना मिलने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अजेश कुमार, अंचलाधिकारी धर्मदेव चौधरी, इंस्पेक्टर श्रीराम सिंह, एएसआइ विनोद कुमार व मुखिया केदारदास घटनास्थल पर पहुंचे. बाद में बीडीओ व अन्य पदाधिकारियों के आश्वासन पर ग्रामीणों ने जाम हटाया. बीडीओ ने पीड़ित परिवार को परिवारिक सहायता योजना के 20 हजार रुपये देने का आश्वासन दिया. मुखिया ने कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन हजार रुपये दिये. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल काॅलेज अस्पताल भेज दिया.’अंकल ! हमारे मां-बाप को क्यों प्रताड़ित करते हैं?’डुमरिया. दलित उत्पीड़ित पिछड़ा वर्ग के बच्चों ने एक परचा जारी कर पुलिस के खिलाफ कुछ सवाल उठाये हैं. प्रखंड के कालीदह, परसिया मोड़ व मंझौली हाट बाजार में परचे को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इसमें पुलिस को ‘अंकल’ संबोधित करते हुए लिखा गया है कि वे (पुलिसवाले) उनके मां-बाप, दादा-दादी, चाचा-चाची व अन्य को क्यों तंग करते हैं. उन्हें क्यों मारते-पीटते हैं. आगे जिक्र है कि उनके घरवाले जंगलों में सूखी लकड़ी काटते हैं, महुआ चुनते हैं, सखुआ के पत्ते तोड़ते हैं. इससे उनका परिवार चलता है. लेकिन, पुलिस के कुछ लोग उनके मां-बाप को प्रताड़ित करते हैं. जंगलों में जाने से रोकते हैं. आखिर, ये अत्याचार क्यों करते हैं. पत्र में लिखा गया है कि क्या हम इस तरह का अत्याचार सहन करते रहें या इसके खिलाफ आवाज उठायें.
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कार ने बाप-बेटे को रौंदा, बेटे की मौत (लीड)
कार ने बाप-बेटे को रौंदा, बेटे की मौत (लीड)पीएचसी में बिना इलाज रेफर कर देने के कारण बच्चे ने रास्ते में तोड़ा दमपिता के दायें पैर में फ्रैक्चर, कमर में भी गंभीर चोट ताड़ी दुकान बंद कर साइकिल से घर लौट रहे थे दोनों फोटो-प्रतिनिधि, डुमरियाडुमरिया–इमामगंज मुख्य पथ पर सिद्धपुर के पास शनिवार को एक […]
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