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कर्तव्यों से विमुख करते हैं मोह व माया : सदय

गया : अर्जुन को जिस प्रकार महाभारत के समय परिवार के प्रति मोह हुआ था, वैसा सभी को होता है. मोहमाया के कारण ही हम अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से निर्वहन नहीं कर पाते हैं. गीता में मोह से मुक्ति के उपाय बताये गये हैं.उक्त बातें वयोवृद्ध साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय ने कहीं. वह […]

गया : अर्जुन को जिस प्रकार महाभारत के समय परिवार के प्रति मोह हुआ था, वैसा सभी को होता है. मोहमाया के कारण ही हम अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से निर्वहन नहीं कर पाते हैं. गीता में मोह से मुक्ति के उपाय बताये गये हैं.उक्त बातें वयोवृद्ध साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय ने कहीं.

वह गीता जयंती समारोह में सोमवार को धर्मसभा भवन में लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसके अध्ययन से अंतर्दृष्टि
खुलती है और मनुष्य में समर्पण का भाव पैदा होता है.यही कारण है कि देश के महापुरुष भी गीता का
प्रतिदिन अध्ययन करते रहे हैं. इस मौके पर आचार्य लालभूषण मिश्र ‘याज्ञिक’ ने कहा कि गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि इसके अध्ययन से हम अपने जीवन में सद्मार्ग पर चल कर मोक्ष की प्राप्ति भी कर सकते हैं.
इस मौके पर पूर्व प्राचार्य सुरेश पाठक, रामप्रवेश शर्मा, महेंद्र पांडेय, अशोक मिश्र, दामोदर मिश्र, रमेश मिश्र, डॉ राम सिंहासन सिंह, रमेश पाठक, अधिवक्ता शिववचन सिंह, साहित्यकार राजीव रंजन व अन्य मौजूद थे. जयंती समारोह में उषा डालमिया ने उपस्थित वक्ताओं व लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया. धन्यवाद ज्ञापन इंदू देवी ने किया.

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