बोधगया : भारत कई धर्मों की स्थली है. लेकिन, यह सुखद बात है कि बुद्धिज्म का दिल भारत में ही बसता है. ये बातें राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहीं. इससे पहले राज्यपाल व कंबोडिया के संघराजा ने महाबोधि मंदिर परिसर में दीप जला कर 11वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग समारोह का उद्घाटन किया. समारोह 12 दिसंबर तक चलेगा.
त्रिपिटक चैंटिंग समारोह में शामिल होने आये विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आपका आना विश्व के करोड़ों बौद्ध श्रद्धालुओं को बोधगया आने के लिए प्रेरित करेगा. राज्यपाल ने सम्राट अशोक द्वारा निर्मित शेष पेज 15 पर
भारत में बसता है…
महाबोधि मंदिर की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सदियों से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. आप यहां बार-बार आयें, यही हमारी कामना है.
राज्यपाल ने बुद्ध द्वारा 45 वर्षों तक धम्मोपदेश दिये जाने की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत के आसपास के कई देश आज बुद्ध के उपदेशों का अनुसरण करते हुए बुद्धिज्म अपनाये हुए हैं. यह भारत व बिहार के लिए बड़ी बात है. राज्यपाल ने कहा कि हाल के वर्षों में बौद्ध तीर्थयात्रियों की सुविधा व यातायात के क्षेत्र में भी काफी कार्य किये गये हैं.
आगे भी सुविधाओं में बढ़ोतरी को लेकर प्रयास जारी रहेगा. उन्होंने त्रिपिटक चैंटिंग के समापन पर 13 दिसंबर को जेठियन से वेणुवन तक आयोजित होनेवाली पदयात्रा को भी सुखद बताया और कहा कि इससे प्राचीन मार्ग को एक नया आयाम मिलेगा. राज्यपाल ने त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के आयोजनकर्ताओं को शुभकामनाएं भी दीं.
श्री कोविंद ने कहा कि वह खास कर कंबोडिया महासंघ, दी लाइट ऑफ बुद्ध धर्म फाउंडेशन के साथ-साथ बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हैं.
गौरतलब है कि त्रिपिटक चैंटिंग समारोह में कंबोडिया, बांग्लादेश, लाओस पीडीआर, इंडोनेशिया, भारत, नेपाल, म्यांमार, थाइलैंड, श्रीलंका व वियतनाम के भिक्षु व श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, जो हर दिन महाबोधि मंदिर परिसर में अलग-अलग खेमे में बंट कर त्रिपिटक चैंटिंग करेंगे. समारोह को लेकर महाबोधि मंंदिर को फूलों से सजाया गया है. उधर, बुधवार की सुबह में विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा निकाली.