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काम आ रही सरेंडर नीति, कई नक्सलियों ने डाले हथियार

काम आ रही सरेंडर नीति, कई नक्सलियों ने डाले हथियारनक्सली संगठन के सदस्यों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बनायी गयी है सरेंडर नीति कई हार्डकोर नक्सली कर चुके हैं समर्पणकई नक्सली पुलिस के संपर्क में फोटो- फाइल फोटो वरीय संवाददाता, गयाभाकपा-माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठनों से जुड़े लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने […]

काम आ रही सरेंडर नीति, कई नक्सलियों ने डाले हथियारनक्सली संगठन के सदस्यों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बनायी गयी है सरेंडर नीति कई हार्डकोर नक्सली कर चुके हैं समर्पणकई नक्सली पुलिस के संपर्क में फोटो- फाइल फोटो वरीय संवाददाता, गयाभाकपा-माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठनों से जुड़े लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार की सरेंडर की नीति का असर दिख रहा है. हाल के दिनों में नक्सली संगठन से जुड़े कई कुख्यात नक्सलियों ने एसएसपी मनु महाराज के समक्ष सरेंडर कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जतायी है. 31 अक्तूबर को मोहनपुर थाने के धनहरी के रहनेवाले (माअोवादी संगठन का सबजोनल कमांडर) बाबूचंद मांझी व हार्डकोर सदस्य रामबली भूईंया व 24 अक्तूबर का मोहनपुर थाने के रामपुर रहनेवाले ललन मांझी ने सरेंडर किया था. पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब सरेंडर करने का सिलसिला जारी रहेगा. माओवादी संगठन से जुड़े रहनेवाले छह लोगों ने पुलिस, सीआरपीएफ व एसएसबी के वरीय अधिकारियों से संपर्क कर सरेंडर करने की इच्छा जता चुके हैं. सूचना है कि अगले दो-तीन दिनों में इनमें से एक-दो माओवादी एसएसपी मनु महाराज के समक्ष सरेंडर करेंगे.महिलाओं व बुर्जुगों को सरेंडर नीति का पाठ पढ़ा रही पुलिसपुलिस के वरीय अधिकारियों का मानना है कि माओवादियों को गिरफ्तार कर उनके संगठन को शत-प्रतिशत कमजोर नहीं किया जा सकता है. किन्हीं कारणों से समाज की मुख्यधारा से भटके लोगों को जब तक समझ नहीं आयेगा कि उनके द्वारा उठाया गया कदम गलत है, तब तक माओवादियों पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं है. गया एसएसपी का पद संभालने के बाद मनु महाराज ने सरेंडर नीति का प्रचार-प्रसार करने के लिए एक नयी नीति बनायी. माओवादियों के घर जाकर महिलाओं को सरकार की सरेंडर नीति के बारे अवगत कराने की योजना बनायी और यह योजना सफल भी हुई. कांबिंग ऑपरेशन के दौरान एसएसपी सहित सिटी एसपी रविरंजन कुमार, सीआरपीएफ कमांडेंट धीरेंद्र वर्मा, एसएसबी कमांडेंट महेश कुमार, एएसपी (नक्सल) मनोज कुमार यादव, सीआरपीएफ के सेकंड इन कमान संतोष कुमार व डिप्टी कमांडेंट संजीव कुमार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. जिला मुख्यालय से एक-एक सौ किलोमीटर दूर गया, औरंगाबाद व नवादा सहित झारखंड के बाॅर्डर इलाके के जंगलों में स्थित गांवों का दौरा कर माओवादियों के परिजनों को सरेंडर करने की नीति को समझा रहे हैं. सितंबर महीने में कांबिंग ऑपरेशन के दौरान एसएसपी ने लुटुआ थाने के बाबूरामडीह गांव के रहनेवाले भाकपा-माओवादी संगठन के शीर्ष नेता संदीप यादव उर्फ विजय यादव उर्फ रूपेश व असुराइन गांव के रहनेवाले माओवादी संगठन के जोनल कमांडर इंदल भोक्ता उर्फ उमा गंझू के माता-पिता, पत्नी व भाई-भौजाई के पास घंटों समय बिताया और उन्हें सरकार की सरेंडर नीति के बारे में पूरी जानकारी दी. इसी प्रकार अब जब भी पुलिस टीम माओवादियों की धर-पकड़ के लिए उनके ठिकानों पर छापेमारी करती है और अगर वह माओवादी पकड़ा नहीं गया, तो पुलिस उनके घर की महिलाओं व बुर्जुगों को सरेंडर नीति से अवगत कराती हैं.सरेंडर नीति का नहीं हुआ है प्रचार-प्रसार : एसएसपीएसएसपी मनु महाराज बताते हैं कि सरकार की सरेंडर नीति में नक्सलियों को हर प्रकार की सुविधाएं दी गयी हैं. लेकिन, अफसोस इस बात का है कि सरेंडर नीति का प्रचार-प्रसार जिले के सुदूरवर्ती इलाके में नहीं किया गया है. गया में ज्वाइंन करने के बाद कांबिंग ऑपरेशन के दौरान माओवादी सदस्यों के परिजनों को सरेंडर नीति से लगातार अवगत कराया गया. इसके बेहतर परिणाम सामने आये हैं. इससे मिली सफलता के बाद अब सरेंडर नीति में दी जानेवाली सुविधाओं को सार्वजनिक करने के लिए नक्सलग्रस्त इलाके में सरेंडर नीति के प्रचार-प्रसार करने के लिए पोस्टर व बैनर बंटवाने की योजना बनायी गयी है.

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