Advertisement
न बदली स्थिति, न ही बदलीं लोगों की आदतें
गया : पिछले साल प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी. उस समय गया शहर में भी इस अभियान का असर देखने को मिला. हर रोज शहर की कई संस्थाएं, सरकारी बाबू व आम लोग हाथों में झाड़ू लिये सड़कों पर नजर आये. किसी ने सड़कों पर झाड़ू लगाया, तो किसी ने पार्क […]
गया : पिछले साल प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी. उस समय गया शहर में भी इस अभियान का असर देखने को मिला. हर रोज शहर की कई संस्थाएं, सरकारी बाबू व आम लोग हाथों में झाड़ू लिये सड़कों पर नजर आये. किसी ने सड़कों पर झाड़ू लगाया, तो किसी ने पार्क व मैदान की सफाई का जिम्मा उठाया. शुक्रवार (दो अक्तूबर) को इस अभियान के एक साल पूरे हो गये, लेकिन शहर की स्थिति में कुछ भी बदलाव नहीं दिखता है.
लगभग हर घर-दुकान के बाहर गंदगी : किसी भी वक्त शहर में निकल जायें, तो लगभग हर घर-दुकान के बाहर कूड़ा-कचरा बिखरा हुआ मिल जायेगा. लोग दिन भर सड़क पर ही अपने घरों से कचरा फेंकते रहते हैं. दुकानदार भी इसमें पीछे नहीं रहते हैं. डस्टबीन का उपयोग न के बराबर किया जाता है. डस्टबीन के आसपास ही कचरा फेंक दिया जाता है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जो कल झाड़ू लेकर शहर को साफ करने की कसम खा रहे थे.
सफाई में भी होती है कोताही
अभी तो पितृपक्ष है, इसलिए नगर निगम शहर को साफ रखने का हरसंभव प्रयास कर रहा है. लेकिन, आम दिनों में इतनी तत्परता नहीं दिखती. मुख्य सड़कों को छोड़ दें, तो शहर के अंदरूनी इलाकों में गंदगी ही नजर आती है. लोगों का आरोप होता है कि नगर निगम की बेहतर मॉनीटरिंग नहीं होने के कारण शहर में गंदगी का आलम रहता है.
लोगों के सोच में हो बदलाव
नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, लोगों के सोच में बदलाव लाना सबसे ज्यादा जरूरी है. निगम ने शहर में जगह-जगह डस्टबीन रखने व घर-घर जाकर कूड़ा कलेक्ट करने की योजना चलायी, लेकिन एक स्तर पर जाकर सब कुछ फेल हो गया. पिछले एक साल से शहर की सफाई व्यवस्था संभाल रहे शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि शहर में एक और बड़ी समस्या है कि लोग दिन भर कूड़ा फेंकते रहते हैं, जबकि मानक के अनुसार सुबह व शाम में कूड़ा फेंका जाना चाहिए. दिन भर कूड़ा फेंकने की आदत ही शहर की सफाई व्यवस्था को खराब करती है.
पॉलीथिन का उपयोग भी बंद हो
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर के लिए पॉलिथीन का उपयोग भी एक सबसे बड़ी समस्या है. लेकिन, पॉलीथिन को बैन करना नगर निगम के बस की बात नहीं है. इसके लिए राज्य सरकार व जिला प्रशासन को संयुक्त तौर पर पहल करनी होगी.
करीब 1800 लेबरों की जरूरत :
नगर निगम क्षेत्र की आबादी 4,65,929 है. आंकड़ों के मुताबिक, हर रोज शहर से 250 टन कूड़ा निकलता है. कूड़े के निष्पादन के लिए नगर निगम के पास 625 लेबर हैं, जो कि आबादी की तुलना में महज 30 प्रतिशत है.
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, शहर में बेहतर सफाई व्यवस्था के लिए 1800 लेबरों की जरूरत है. लेकिन, समस्या यह है कि निगम के पास इतने पद स्वीकृत ही नहीं हैं. इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों को भुगतान करने के लिए निगम आर्थिक रूप से तैयार नहीं है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement