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फाइलेरिया पदाधिकारी का ही पद है खाली

जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में अधिकारी-कर्मचारियों की घोर कमी गया : फाइलेरिया बीमारी की रोकथाम के लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग ने अलग फाइलेरिया नियंत्रण इकाई बनायी है. शहर में सिविल सजर्न कार्यालय परिसर में ही एक खंडहरनुमा भवन में यह इकाई स्थित है, जहां कार्यालय व क्लिनिक दोनों हैं. लेकिन, जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई […]

जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में अधिकारी-कर्मचारियों की घोर कमी
गया : फाइलेरिया बीमारी की रोकथाम के लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग ने अलग फाइलेरिया नियंत्रण इकाई बनायी है. शहर में सिविल सजर्न कार्यालय परिसर में ही एक खंडहरनुमा भवन में यह इकाई स्थित है, जहां कार्यालय व क्लिनिक दोनों हैं.
लेकिन, जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में अधिकारी व कर्मचारियों को टोटा है. जिला फाइलेरिया पदाधिकारी का पद नवंबर 2014 से खाली है. जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई में कर्मचारियों के 52 पद स्वीकृत हैं. इनमें मात्र 12 ही कार्यरत है. शेष 40 पद खाली हैं. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि फाइलेरिया की रोकथाम के लिए सरकार कितनी गंभीर है.
फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है. इसे श्लीपद, फील पांव या हाथी पांव भी कहा जाता हैं. इसके मरीजों के पांव फूल कर हाथी के पांव के समान हो जाते हैं. कभी-कभी अंडकोष व स्तन आदि शरीर के विभिन्न अंग भी फूल जाते हैं.
यह बीमारी विशेष प्रकार के फाइलरिया बैंक्रॉफ्टी नामक कृमियों के कारण होता है. इसका प्रसार क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है. इस कृमि का स्थायी स्थान लसीका (लिंफ) वाहिनियां हैं. रात में यह रक्त में प्रवेश कर शरीर में भ्रमण करते हैं. यही कारण है कि फाइलेरिया पारासाइट टेस्ट के लिए स्लाइड रात में लिया जाता है. लसीका वाहिनियों में कृमि की मौत होने से रक्त संचार का मार्ग बंद हो जाता है, जिसे खोलना संभव नहीं है. इस अवस्था में सजर्री ही एकमात्र उपचार है. सजर्री द्वारा लसीका वाहिनी का नया मार्ग बनाया जाता है.
एंटी लार्वा का छिड़काव सिर्फ नगर निगम क्षेत्र में : फाइलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए एंटी लार्वा (बीटेक्स आदि ) दवा का छिड़काव किया जाता है. जिला फाइलेरिया नियंत्रण इकाई को दवा छिड़काव की जिम्मेवारी सिर्फ नगर निगम क्षेत्र में दी गयी है. लेकिन, छह जून, 2014 से एंटी लार्वा दवा ही उपलब्ध नहीं हैं. इस कारण नगर निगम क्षेत्र में भी दवा का छिड़काव बाधित है.
तीन दिवसीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू
29 से 31 मई से जिले में तीन दिवसीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसके तहत नगर निगम समेत जिले के सभी प्रखंडों में दो साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को डाइइथाइल कार्बामाजीन (हेट्राजोन) की दवा दी जायेगी.
दो से पांच साल के बच्चों को एक टैबलेट, पांच से 15 साल के बच्चों को दो टैबलेट व इससे अधिक उम्र के लोगों को तीन टैबलेट दिये जाने है. हालांकि, गर्भवती महिलाओं, मासिक स्नव की स्थिति वाली महिलाओं, टीबी के मरीजों व अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों व दो साल से कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं देनी है.

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