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करेला-तोरई से सालाना 10 लाख की कमाई
गोपालगंज: कुदरत की मार से फसलों की भारी क्षति हुई है. किसानों की कमर टूट गयी है. वहीं, अत्याधुनिक तरीके से खेती करनेवाले किसान आज इलाके के लिए मिसाल बने हुए हैं. करैला, मिर्च, भिंडी और नेनुआ की खेती कर मांझा प्रखंड के धोबवलिया गांव के किसान जय प्रकाश प्रसाद ने मुकाम हासिल किया है. […]
गोपालगंज: कुदरत की मार से फसलों की भारी क्षति हुई है. किसानों की कमर टूट गयी है. वहीं, अत्याधुनिक तरीके से खेती करनेवाले किसान आज इलाके के लिए मिसाल बने हुए हैं. करैला, मिर्च, भिंडी और नेनुआ की खेती कर मांझा प्रखंड के धोबवलिया गांव के किसान जय प्रकाश प्रसाद ने मुकाम हासिल किया है. जयप्रकाश आज इलाके के किसानों के लिए आदर्श माने जा रहे हैं. जय प्रकाश पांच एकड़ में सब्जी की खेती कर प्रतिवर्ष 8-10 लाख रुपये की बचत कर लेते हैं. इनके खेतों में सुबह होते ही सब्जी के कारोबारियों की जमघट लग जाती है. खेत में ही इनकी सब्जी बिक जाती.
जय प्रकाश वर्ष 1994 में स्नातक करने के बाद खेती को अपने कैरियर के रूप चुना. उन्होंने कठिन परिश्रम कर कृषि के क्षेत्र में अपने भाग्य को आजमाया. भाग्य ने भी कड़ी मेहनत का साथ दिया. आज जयप्रकाश पूरे साल फूलगोभी, पत्तागोभी, नेनुआ, लौकी, मिर्च, टमाटर, बैगन, भिंडी, मूली आदि की खेती करते हैं. मौसमी सब्जी भी अब सालों भर पैदा करते हैं.
मिल चुका है अवार्ड
मार्च, 2015 में आयोजित मिंज स्टेडियम में किसानों द्वारा किये गये उत्पादन की प्रदर्शनी लगायी गयी थी. जिसमें कृषि विभाग की तरफ से जयप्रकाश प्रसाद को नीबू, मूली तथा बैगन की बेहतर उपज के लिए प्रथम पुरस्कार दिया गया था. कृषि प्रदर्शनी में इनके उत्पादन की सराहना डीएम कृष्ण मोहन ने भी की थी.
बेटियां बढ़ाती हैं हौसला
सब्जी की खेती के अलावा जयप्रकाश खाने भर के लिए धान और गेहूं की खेती करते हैं. आरंभ से ही जय प्रकाश अत्याधुनिक कृषि प्रणाली में विश्वास रखते हैं. जय प्रकाश की तीन बेटियां हैं. जो इनका हौसला हर पल अफजाई करती हैं. बड़ी बेटी पूनम स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्र है. जबकि प्रियंका विज्ञान से स्नातक कर रही. छोटी बेटी पूजा मैट्रिक की पढ़ाई कर रही है. बड़ी बेटी हर वक्त खेती के अत्याधुनिक तरीकों को इंटरनेट के जरिये खोज कर अपने पिता का सहयोग करती है.
अन्य किसानों ने भी शुरू की सब्जी की खेती
मांझा प्रखंड के दुलदुलिया गांव के किसान जयप्रकाश की मेहनत जब रंग लायी, तो गांव के अन्य किसानों ने भी इनसे सीख ली. एक दर्जन से अधिक किसान सब्जी की खेती की शुरुआत की है. आज जयप्रकाश को इस बात का गर्व है कि उनकी दिखायी राह पर ग्रामीण चल पड़े हैं. उन्हें इस बात का मलाल है कि सब्जी की खेती करनेवाले किसानों को कृषि विभाग की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा. किसानों को अगर सब्सिडी पर खाद, उन्नत बीज के साथ वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाये, तो किसान इलाके की तसवीर बदल देंगे.
सोलर पंप नहीं मिलने का है मलाल
जयप्रकाश को इस बात का मलाल है कि कृषि विभाग की तरफ से सोलर पंप सेट कुछ चंद किसानों को दिया गया. लेकिन, मेरे जैसे किसान विभाग का चक्कर लगाते रह गये, लेकिन नहीं मिला. सोलर पंप मिला होता तो सब्जी की खेती के लिए सिंचाई की चिंता समाप्त हो जाती. जबकि जिला कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह ने बताया कि किसान अगर आवेदन करता है ,तो विभाग निश्चित ही जांच -पड़ताल कर उसका सहयोग करेगी. जयप्रकाश को भी वर्मी कंपोस्ट के लिए अनुदान दिया गया है.
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