सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद संस्थान के निदेशक डॉ विनय कुमार ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण की जो समस्या सामने है, उसका निदान भी लोगों के ही हाथ में है. इसके लिए व्यापक एकजुट प्रयास करना होगा. इसी संगोष्ठी में अपनी बातें रखते हुए समाजसेवी सुमंत कुमार ने लोगों को सुझाव दिया कि वे भौतिकता के पीछे ज्यादा न भागें. उनकी राय में लोगों को अपनी आवश्यकताओं को नियंत्रण में रखने की आदत डालनी चाहिए.
शंभु शंकर पांडेय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज का तथाकथित प्रतिष्ठित वर्ग अपने को ठीक कर ले, तो बाकी भी खुद को ठीक कर लेंगे. इस अवसर पर धनंजय कुमार ने शिक्षकों को उनके उत्तरदायित्व के प्रति संवेदनशील रहने की भी सलाह दी. कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ रामाश्रय चौहान ने भी अपने विचार रखे.