शेरघाटी: शिक्षण ही वह पेशा है, जो अन्य पेशों को जन्म दिया है. शिक्षक एक वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें बच्चे सीखते हैं. ये बातें शनिवार को स्थानीय टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में आयोजित सेमिनार में मगध विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग के व्याख्याता डॉ धनंजय धीरज ने कहीं.
उन्होंने नवाचार के कई घटकों जैसे स्थान, अधिगमकर्ता, परिवेश, अंत: व बाह्य अभिप्रेरण पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ धनंजय धीरज ने कहा कि शिक्षक सृजनकार हैं.
प्राचीन समय में भी नवाचार पाठ्य किया जाता था. 60-70 के दशक में बदलाव आया. उन्होंने एकलव्य व गुरु द्रोणाचार्य की कहानी से शिक्षकों व छात्रों को प्रेरणा लेने को कहा. इस दौरान मौजूद डायट (गया) के व्याख्याता डॉ अरविंद कुमार ने गिरते सम्मान के लिए शिक्षक समुदाय को अपना नकारात्मक सोच बदलने को कहा. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को मानसिकता बदलना होगा और गर्व से अपनी भूमिका निभानी होगी. छात्र-छात्राओं को केवल किताबी ज्ञान देने के बजाय उन्हें सांसारिक ज्ञान भी सिखाना होगा. मनोवृत्ति बदलेगी, तो सम्मान भी मिलेगा और शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा. जरूरत है शिक्षावादी भूमिका व लोकतांत्रिक प्रक्रिया निर्वहन करने की. सेमिनार में एससीइआरटी, पटना, की प्रतिनिधि डॉ रीता राय, प्रभारी प्राचार्य रत्ना घोष व वार्ड पार्षद कौशल्या देवी आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ नरेंद्र देव ने किया. सेमिनार के छात्र आदित्य कुमार ने अपने भजन से लोगों का मन मोहा.