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राजस्व बढ़ाने की हो रही कवायद
गया: शहर में कुल होल्डिंग (मकान) की जानकारी जुटाने में नगर निगम हाइटेक तकनीक अपना रहा है. निगम शहर का जीआइएस (ज्योग्राफिक इन्फॉरमेशन सिस्टम) मैपिंग करा रहा है. अब तक मकानों के जो आंकड़े आये हैं, वे 80 हजार के आसपास हैं. हालांकि, इनमें बढ़ोतरी की संभावना जतायी जा रही है. दूसरी ओर, होल्डिंग टैक्स […]
गया: शहर में कुल होल्डिंग (मकान) की जानकारी जुटाने में नगर निगम हाइटेक तकनीक अपना रहा है. निगम शहर का जीआइएस (ज्योग्राफिक इन्फॉरमेशन सिस्टम) मैपिंग करा रहा है. अब तक मकानों के जो आंकड़े आये हैं, वे 80 हजार के आसपास हैं. हालांकि, इनमें बढ़ोतरी की संभावना जतायी जा रही है.
दूसरी ओर, होल्डिंग टैक्स को बढ़ाने के लिए असेसमेंट की प्रक्रिया भी जारी है. अधिकारियों की माने, तो मैपिंग हो जाने के बाद शहर में मकानों (आवासीय / गैर आवासीय) की पूरी जानकारी मिल जायेगी.
इसके बाद असेसमेंट की प्रक्रिया आसानी से पूरी हो सकेगी. इन सब के बाद निगम का होल्डिंग डिमांड (लक्ष्य) लगभग 20 करोड़ पहुंच जायेगा. स्पष्ट है कि निगम राजस्व बढ़ाने के लिए ही सारी कवायद कर रहा है. जीआइएस मैपिंग का काम रोलटा इंडिया नाम की कंपनी कर रही है.
शहर में लगभग एक लाख मकान
निगम के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक शहर में होल्डिंग की संख्या 60 हजार है, जबकि मैपिंग के बाद यह आंकड़ा एक लाख तक जा सकता है. इससे साफ है कि हाल के वर्षो में शहर में तेजी से नये मकान बने हैं. वाटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एशियन डेवलपमेंट बैंक ने भी अपने सर्वे रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है. यह प्रक्रिया निगम को होल्डिंग टैक्स असेसमेंट में मदद करेगी.
तीन गुना बढ़ जायेगा लक्ष्य
अभी होल्डिंग टैक्स वसूली का लक्ष्य साल भर में लगभग सवा छह करोड़ रुपये हैं. वसूली की स्थिति के अनुसार, ब्याज के साथ निगम लगभग पांच करोड़ रुपये की वसूली करता है. मकानों की संख्या बढ़ने व असेसमेंट प्रक्रिया के पूरा हो जाने के बाद यह लक्ष्य 20 करोड़ रुपये हो जायेगा. नये वित्त वर्ष के बजट को भी इन बातों को ध्यान में रख कर ही तैयार किया गया है. निगम को उम्मीद है कि आगामी वित्त वर्ष में निगम के राजस्व की स्थिति अधिक बेहतर होगी.
कैसे होती है मैपिंग
जीआइएस मैपिंग के तहत सैटेलाइट की मदद से शहर की तसवीरें ली जाती हैं. उच्च तकनीक के कैमरे से होने ली जानेवाली तसवीरों में शहर की भौगोलिक स्थिति का जायजा लिया जा सकता है. इस प्रक्रिया के बाद आनेवाली तसवीरों में शहर के आवासीय और गैर आवासीय मकानों तक की जानकारी मिल जाती है. इसके साथ ही, शहर में सीवरेज, सड़कें, हैंडपंप व स्ट्रीट लाइट समेत सभी जानकारियां उपलब्ध हो जाती हैं. जानकारी के मुताबिक, नगर विकास विभाग के आदेश के बाद रोलटा इंडिया नाम की यह कंपनी बिहार के सभी नगर निगमों में जीआइएस मैपिंग का काम कर रही है.
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