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पांच लाख के चलते सिटी स्कैन बेकार

गया: अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एएनएमएमसीएच) में 1.50 करोड़ की लागत से लगी सिटी-स्कैन मशीन महज पांच लाख रुपये के चलते लगभग ढाई माह से खराब पड़ी है. इससे दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गौरतलब है कि जुलाई, 2006 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से एएनएमएमसीएच में […]

गया: अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एएनएमएमसीएच) में 1.50 करोड़ की लागत से लगी सिटी-स्कैन मशीन महज पांच लाख रुपये के चलते लगभग ढाई माह से खराब पड़ी है. इससे दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गौरतलब है कि जुलाई, 2006 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से एएनएमएमसीएच में जेनेरेटर सेट समेत सिटी स्कैन मशीन लगायी गयी थी. इसे चालू करने में अस्पताल प्रशासन को छह माह लग गये. यह फरवरी, 2007 से 21 मई तक चालू रही. बीच-बीच खराब हुई, पर बन गयी. लेकिन 22 मई, 2013 से अब तक खराब पड़ी है. जानकारी मिली है कि सिमेंस कंपनी के इंजीनियर ने मशीन को देखा भी है. उसने मशीन ठीक करने में करीब पांच लाख रुपये लागत आने की बात बतायी. लेकिन, अब तक रुपये का इंतजाम नहीं हो सका है.

अस्पताल में सरकारी दर 800 रुपये प्रति मरीज की दर से प्रतिमाह औसतन 300 मरीजों का सीटी-स्कैन होता है. इसका मतलब है कि हर माह ढाई लाख रुपये की दर से अब तक अस्पताल को छह लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है. साथ ही सिटी स्कैन की सुविधा रहने पर सिर्फ गंभीर रूप से घायल मरीजों को पीएमसीएच रेफर किया जाता था. लेकिन, अब सभी तरह के घायलों को रेफर कर दिया जाता है.

अस्पताल अधीक्षक डॉ सीताराम प्रसाद ने बताया कि पैसे के लिए विभाग को लिखा गया है, मिलते ही मशीन ठीक करा ली जायेगी. हालांकि जानकारों राय है कि मशीन अब पुरानी हो चुकी है. इस बात की पुष्टि सिमेंस कंपनी के इंजीनियर भी करते हैं. लेकिन, इसको लेकर न तो अस्पताल प्रशासन गंभीर है और न ही स्वास्थ्य महकमा.

यही कारण है कि रेडियोलॉजी विभाग में तकनीशियन का पद भी लंबे अरसे से रिक्त है. स्वीकृत पांच पद के बदले तीन से काम चलाया जा रहा है. पांच माह बाद एक और के सेवानिवृत्त होने के बाद दो ही बचेंगे. सूचना है कि लंबे समय से एक ही तकनीशियन बारी-बारी से एक्स-रे, डार्क रूम व सिटी-स्कैन का काम करते आ रहे हैं. इससे काम भी बाधित हो रहा है.

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