पटना/गया: हाइकोर्ट ने फल्गु नदी की सफाई नहीं होने व नदी की जमीनों के अतिक्रमण पर नाराजगी जतायी है. मुख्य न्यायाधीश एलआर नरसिम्हा रेड्डी व विकास जैन की खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले में दायर लोकहित याचिका की सुनवाई की. कोर्ट ने 13 फरवरी को डीएम को हाजिर होने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इसके पहले डीएम को हलफनामा देकर वस्तुस्थिति की जानकारी देने के लिए कहा था.
लेकिन, हलफनामा दायर नहीं किया गया. इससे नाराज खंडपीठ ने डीएम को स्वयं हाजिर होकर कोर्ट को पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि प्रतिज्ञा संस्था की ओर से हाइकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की गयी थी. इसमें फल्गु नदी की गंदगी की ओर कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया गया था.
2012 में दायर हुई थी याचिका : प्रतिज्ञा नामक सामाजिक संस्था के संयोजक बृजनंदन पाठक ने बताया कि फल्गु में बढ़ते अतिक्रमण व गंदगी की समस्या निबटाने के लिए उन्होंने कई बार सीएम (नीतीश कुमार) को पत्र लिखा था. सीएम के आदेश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों ने गया का दौरा भी किया था. बोर्ड ने फल्गु में अतिक्रमण और गंदगी की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की थी. इस मसले पर कड़े कदम उठाये जाने की भी बातें हुईं. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हो सका. श्री पाठक की संस्था के माध्यम से ही 2012 में हाइकोर्ट में ऊपरोक्त याचिका दायर हुई थी.
दो वर्षो में भी नहीं बदली स्थिति : याचिका दायर होने के दो वर्ष के बाद भी फल्गु की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. अतिक्रमण भी जारी है और गंदगी भी. गया-मानपुर में बन रहे सिक्स लेन पुल के पास से लेकर विष्णुपद तक नदी के दोनों ओर इन दो वर्षो में कई इमारती निर्माण हो गये. आलम यह है कि घाट को खटाल में तब्दील कर दिया गया है. घाट के नीचे कहीं कचरा है, तो कहीं गाय-भैंसें बांधी जा रही हैं.
कोर्ट ने इसके पहले डीएम को हलफनामा देकर वस्तुस्थिति की जानकारी देने के लिए कहा था. लेकिन, हलफनामा दायर नहीं किया गया. इससे नाराज खंडपीठ ने डीएम को स्वयं हाजिर होकर कोर्ट को पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि प्रतिज्ञा संस्था की ओर से हाइकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की गयी थी. इसमें फल्गु नदी की गंदगी की ओर कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया गया था.
2012 में दायर हुई थी याचिका : प्रतिज्ञा नामक सामाजिक संस्था के संयोजक बृजनंदन पाठक ने बताया कि फल्गु में बढ़ते अतिक्रमण व गंदगी की समस्या निबटाने के लिए उन्होंने कई बार सीएम (नीतीश कुमार) को पत्र लिखा था. सीएम के आदेश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों ने गया का दौरा भी किया था. बोर्ड ने फल्गु में अतिक्रमण और गंदगी की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की थी. इस मसले पर कड़े कदम उठाये जाने की भी बातें हुईं. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हो सका. श्री पाठक की संस्था के माध्यम से ही 2012 में हाइकोर्ट में ऊपरोक्त याचिका दायर हुई थी.
दो वर्षो में भी नहीं बदली स्थिति : याचिका दायर होने के दो वर्ष के बाद भी फल्गु की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. अतिक्रमण भी जारी है और गंदगी भी. गया-मानपुर में बन रहे सिक्स लेन पुल के पास से लेकर विष्णुपद तक नदी के दोनों ओर इन दो वर्षो में कई इमारती निर्माण हो गये. आलम यह है कि घाट को खटाल में तब्दील कर दिया गया है. घाट के नीचे कहीं कचरा है, तो कहीं गाय-भैंसें बांधी जा रही हैं.