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आइआइएम की जमीन के लिए मोल-तोल!

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) कैंपस में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) की स्थापना के लिए जमीन दिये जाने के मामले में सरकार अतिरिक्त फंड का लालच देकर मोल-तोल की रणनीति पर उतर आयी है. शनिवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने एमयू के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा […]

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय (एमयू) कैंपस में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) की स्थापना के लिए जमीन दिये जाने के मामले में सरकार अतिरिक्त फंड का लालच देकर मोल-तोल की रणनीति पर उतर आयी है. शनिवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने एमयू के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ बैठक की.

उन्होंने कहा कि आइआइएम की स्थापना के लिए अगर एमयू की जमीन दी जाती है, तो एमयू कैंपस में विकास के लिए सरकार की तरफ से अतिरिक्त फंड मुहैया कराया जायेगा. उन्होंने आइआइएम की उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि एमयू कैंपस में आइआइम खुलने से शैक्षणिक माहौल के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर व रोजगार के भी व्यापक अवसर खुलेंगे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार पटना में आइआइएम की स्थापना करना चाहती थी, लेकिन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की इच्छा है कि आइआइएम की स्थापना गया में हो. इसके लिए उन्होंने एमयू की 150 एकड़ जमीन आइआइएम के नाम हस्तांतरित करने पर सहमति दे दी है. आइआइएम के लिए 900 करोड़ का प्रोजेक्ट है.

हालांकि, श्री महाजन ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा एमयू कैंपस में आइआइएम की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया जा चुका है. इसमें एमयू के शिक्षकों व कर्मचारियों की कोई शर्त है, तो उसे स्पष्ट कर देना चाहिए. सरकार को इससे अवगत करा दिया जायेगा. साथ ही, आइआइएम के लिए जमीन देने के बदले एमयू के पास कोई प्लान है, तो उसे भी प्रस्तुत किया जाये.
इधर, शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉ पारसनाथ उपाध्याय व अध्यक्ष अमितेश प्रकाश ने कहा कि बोधगया में आइआइएम की स्थापना का स्वागत है, लेकिन इसके लिए एमयू कैंपस की जमीन का हस्तांतरण मंजूर नहीं है. संघ के नेताओं ने बताया कि वर्ष 1962 में एमयू की स्थापना के साथ ही कैंपस में विभिन्न शिक्षण संस्थान खोले जाने का मास्टर प्लान बन गया था. इनमें इंजीनियरिंग, नर्सिग कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान शामिल हैं. सरकार ने इन संस्थानों की स्थापना के लिए अब तक कोई पहल नहीं की है. उनका आरोप है कि एमयू प्रशासन की तरफ से भेजी जानेवाली विकास योजनाओं के प्रारूप पर सरकार ध्यान नहीं देती.
नेताओं ने शिक्षा सचिव को स्पष्ट कर दिया कि एमयू कैंपस से सटी सरकारी जमीन पर आइआइएम की स्थापना की जाये. थोड़ी बहुत जमीन कम होने पर एमयू सहयोग करेगा. लेकिन, कैंपस की जमीन नहीं दी जायेगी. संघ ने इस मामले में सरकार से भिड़ने व अदालत तक में जाने तक की बात कही. नेताओं ने कहा कि एमयू की जमीन हथियान की प्रक्रिया पर सरकार ने विचार नहीं किया, तो 27 जनवरी से एमयू कैंपस में तालाबंदी कर दी जायेगी. इसके लिए सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों से भी सहयोग लिया जायेगा. इससे पहले एमयू के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने आइआइएम की स्थापना के लिए जमीन हस्तांतरण से जुड़े घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि एमयू कैंपस में आइआइएम की स्थापना खुशी की बात है. लेकिन, वह शिक्षक व कर्मचारियों के निर्णय का भी समर्थन करते हैं.
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह सरकार द्वारा नियुक्त कुलपति हैं, सरकार के निर्णय के खिलाफ नहीं जा सकते. बैठक में शिक्षक संघ के महासचिव, परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य कर्मचारी व शिक्षक मौजूद थे. बैठक बगैर किसी निर्णय के समाप्त हुआ. इस मामले में शिक्षा सचिव ने बताया कि सरकार के निर्देश पर शिक्षक व कर्मचारी संघ के लोगों के साथ बात करने आया था. यहां जो बातें हुईं, उससे सरकार को अवगत करा दिया जायेगा. बैठक के बाद कर्मचारियों ने राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ नारेबाजी भी की.

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