गया: धर्मसभा भवन में बुधवार को आयोजित प्रगतिशील मगही समाज के पहले स्थापना दिवस पर समाज से जुड़े लोगों ने मगध को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग की है. गौतम बुद्ध की धर्म शक्ति व सम्राट अशोक की राज शक्ति से स्वर्णिम अतीत वाले मगध अब आर्थिक बदहाली, सामाजिक वैमनस्य व राजनैतिक विघटन की दौर से गुजर रहा है. इसके कारण व निदान पर चर्चा की गयी. इस मौके पर ‘मगध के वर्तमान राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में प्रगतिशील मगही समाज की कार्य योजना’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जन-संपर्क सचिव रवींद्र कुमार ने कहा कि मगध के विभिन्न बैंकों में जमा रुपये का उपयोग मगध के विकास पर में किया जाये. बेरोजगार युवकों को ऋण देकर मगध के कच्चे माल पर उद्योग शुरू कराया जाये. लेकिन ऐसा नहीं कर दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों को दिया जाता है. मगही युवा नेता राहुल रंजन ने कहा कि शत-प्रतिशत रोजगार के साधन मगध में उपलब्ध हैं. लेकिन, दोषपूर्ण व्यवस्था के कारण नौकरी की तलाश में पलायन जारी है. मुख्य वक्ता आचार्य गुप्तेश्वर नाथ कहा कि मगध की मातृभाषा को दबा कर यहां की गौरवशाली विरासत को कुचल दिया गया है.
इससे मगध वासी हीन भावना से ग्रसित हो गये हैं. उन्होंने बिहार के पटना, नालंदा, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल, नवादा, लखीसराय, शेखपुरा व जमुई, झारखंड के पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह व देवघर तथा छत्तीसगढ़ का बलरामपुर जिलों को जोड़ कर मगध राज्य बनाने की मांग की. कार्यक्रम की अध्यक्षता मगही समाज के महासचिव शिवनंदन प्रसाद ने की. इस मौके पर समाज से जुड़े सुशील रंजन, रामकिशुन प्रसाद, भास्कर प्रसाद समेत काफी लोग मौजूद थे.