* बोले आरएसएस प्रमुख भागवत, पैसों से कोई बड़ा नहीं होता
गया : प्रकृति ने मनुष्य को विचार शक्ति दी है, ताकि वह अपने साथ–साथ समाज व सृष्टि का विकास कर सके. लेकिन, वर्तमान स्थिति को देख कर यही लगता है दुनिया से विवेक–विचार का लोप हो गया है. यह मनुष्य के पतन का प्रमुख कारण है. ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहीं. वह शनिवार को माड़नपुर में नवनिर्मित दया प्रकाश सरस्वती विद्या मंदिर का लोकार्पण करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे.
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि आज लोग पढ़ाई कर उच्च शिक्षा तो हासिल कर रहे हैं. लेकिन, उनमें विवेक की कमी है. इसी वजह से उनका विकास नहीं हो पाता. आज हर किसी में बड़ा आदमी बनने की ललक है. इसके लिए लोग उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, लेकिन लोग यह नहीं समझते कि बड़ा बनने का मतलब अधिक पैसा कमाना नहीं, बल्कि विचारों से बड़ा होना है. इस संबंध में उन्होंने इतिहास से कई उदाहरण भी दिये.
वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर श्री भागवत ने प्रश्न चिह्न् खड़े किये. उन्होंने कहा कि आज शिक्षा की गुणवत्ता का मतलब अच्छा रिजल्ट, एडमिशन की भीड़ व स्कूल की हाइप्रोफाइल व्यवस्था मानी जाती है. विद्यालय अब व्यवसाय बन गया है. शिक्षा में समर्पण की भावना नहीं रही और जब तक ऐसा रहेगा, तब तक शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा. सरकारी पैसे से तो बिल्कुल नहीं.
* बच्चों पर न बनाएं दबाव
संघ प्रमुख ने कहा कि देश की 121 करोड़ की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा बच्चों व युवाओं का है. ऐसे में सभी छात्रों का 100 प्रतिशत रिजल्ट बिल्कुल संभव नहीं है. फिर भी न जाने क्यों ? अभिभावक बच्चों पर इसके लिए दबाव बनाये रखते हैं. यह गलत है. अभिभावक ऐसा कर अपने ही बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में ही मेरिट हासिल हो, ऐसा जरूरी नहीं. अन्य क्षेत्रों में भी सफलता पायी जा सकती है. ठेला चलाने में भी मेरिट हो सकती है.
* अपनी संस्कृति को जानें
श्री भागवत ने कहा कि आज हर अभिभावकों में एक भ्रम है, अंगरेजी जानने से ही उनके बच्चों की प्रगति होगी. वह अपने बच्चे को पूरी शिक्षा अंगरेजी माध्यम से ही दिला रहे हैं. उन्हें भारतीय संस्कृति व सभ्यता से अवगत नहीं करा रहे, जबकि बड़े विद्वानों ने भी माना है कि शिक्षा अपनी संस्कृति को जाने बगैर अधूरी होती है.
उन्होंने अभिभावकों से बच्चों को अंगरेजी की ओर न धकेलने की अपील की. इससे पहले कार्यक्रम में राष्ट्रीय संगठन मंत्री ब्रह्मदेव शर्मा ने कहा कि बच्चों में संस्कार व संस्कृति का ज्ञान देना ही विद्या मंदिर का मुख्य उद्देश्य रहा है और यही इसकी पहचान है. यह संस्थान पूरी तरह से शिक्षा को समर्पित है. यह विद्यालय पूरी तरह से समाज का, समाज के द्वारा, समाज के ही लिए चलता है.
श्री शर्मा ने राजनेताओं को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोई भी विद्यालय राजनीति व व्यवसाय के भरोसे नहीं चलता. वर्तमान में सरकार राजनीति के आधार पर शिक्षा को अपने हिसाब से चलाना चाहती है. इस तरह से पूरी शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जायेगी. राष्ट्रीय महामंत्री रमेंद्र राय ने भी विद्या भारती के कार्यो पर प्रकाश डाला.
कार्यक्रम के दौरान विद्यालयों के बच्चों ने गीत पेश किये. इस मौके पर बड़ी संख्या में स्वयंसेवक, भाजपा के नेता–कार्यकर्ता व शहर के व्यवसायी मौजूद थे. सुबह विद्यालयों के छात्रों ने शहर में पथ संचलन किया. इसके बाद विद्यालय में हवन का आयोजन हुआ.
* कहा, सरकारी पैसे से शिक्षा संभव नहीं
* नवनिर्मित दया प्रकाश सरस्वती विद्या मंदिर का लोकार्पण किया