बोधगया: बिहार ही नहीं, बोधगया देशभर की उन चुनिंदा जगहों में से है, जिसे किसी भी दिन विदेशी नागरिकों से खाली नहीं पाया जा सकता. हर रोज यहां बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक रहते हैं. कभी-कभार तो इनकी संख्या उम्मीद से भी काफी अधिक हो जाती है. चूंकि यहां आनेवाले विदेशी नागरिकों में अधिकतर हिंदी या मगही (अंगरेजी भी) नहीं जानते, उन्हें यहां द्विभाषी लोगों की जरूरत भी पड़ती रहती है. जब यहां कोई बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन होता है, तब इनकी जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है.
अच्छी बात यह है कि यहां विदेशी नागरिकों की सुविधा के लिए द्विभाषी लोगों की कमी अब एमयू (मगध विश्वविद्यालय) पूरी करने लगा है. पिछले दो वर्षो में एमयू के एकेडमी ऑफ फॉरेन लैंग्वेज कोर्स से पास कर करीब 100 से अधिक स्टूडेंट्स को रोजगार मिल चुका है. संस्थान के निदेशक डॉ हरिमोहन प्रसाद के अनुसार, आनेवाले दिनों में इनकी संख्या में और तेजी से इजाफा होगा. मगध टूर एंड ट्रैवल्स के प्रबंधक रामजी सिंह के अनुसार, अब बोधगया में विदेशी नागरिकों के आने पर द्विभाषीय की चिंता नहीं रहती. एमयू पर्याप्त संख्या में ऐसे नौजवान तैयार कर रहा है, जो अच्छी तरह विदेशी नागरिकों के साथ उनकी भाषा में कम्युनिकेट कर रहे हैं. हाल में यहां संपन्न बौद्ध समागम के दौरान लगा था कि ऐसे ट्रेंड लोगों की कमी के चलते बोधगया की छवि प्रभावित हो सकती है. पर, ऐसा नहीं हुआ.
एमयू द्वारा तैयार ट्रेंड लड़के ही काम के निकले. किसी को कहीं कोई कमी नहीं महसूस हुई. स्मरण रहे कि बौद्ध समागम में बोधगया की धरती पर एक साथ 31 देशों से अलग-अलग भाषाओं के सैकड़ों लोग मौजूद थे.
300 स्टूडेंट्स के एडमिशन की सुविधा
एमयू में फिलहाल एकेडमी ऑफ फॉरेन लैंग्वेज कोर्स के तहत चीनी, कोरियाई, जापानी, फ्रेंच, स्पैनिश और जर्मन भाषाओं की पढ़ाई चल रही है. इनके अतिरिक्त श्रीलंका की भाषा सिंहली, थाई, तिब्बती और रूसी भाषा की भी पढ़ाई होती है. सभी भाषाओं के लिए एक बार में 30-30 स्टूडेंट्स का एडमिशन होता है. इस प्रकार ऊपरोक्त 10 विदेशी भाषाओं में फिलहाल एक साथ 300 छात्र-छात्रएं विदेशी भाषा में पारंगत होने की सुविधा पा रहे हैं. दो साल के डिप्लोमा कोर्स के लिए यहां नामांकन की प्रक्रिया दिसंबर तक चलेगी. एडमिशन के लिए एक विद्यार्थी का 10+2 उत्तीर्ण होना जरूरी है.