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शहर क्यों नहीं हो रहा पॉलीथिन मुक्त

गया: नगर निगम चुनाव के एक साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन कई समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं. निगम के दावे एक के बाद एक फेल होते जा रहे हैं. कई समस्याओं में बड़ी समस्या है शहर में पॉलीथिन के प्रयोग की. साल भर पहले निगम बोर्ड की पहली बैठक में नवनिर्वाचित पार्षदों […]

गया: नगर निगम चुनाव के एक साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन कई समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं. निगम के दावे एक के बाद एक फेल होते जा रहे हैं. कई समस्याओं में बड़ी समस्या है शहर में पॉलीथिन के प्रयोग की. साल भर पहले निगम बोर्ड की पहली बैठक में नवनिर्वाचित पार्षदों ने शहर को पॉलीथिन फ्री करने का निर्णय लिया था.

पर, वर्तमान में शहर के हर गली-मुहल्लों में नालियों में पड़े पॉलीथिन निगम के उस फैसले को मुंह चिढ़ा रहे हैं. निगम के साफ-सफाई का कामकाज देखने वाले अधिकारी बताते हैं कि शहर में हर रोज निकलने वाले 250 टन कूड़े में लगभग 80 से 100 टन की मात्र पॉलीथिन की होती है. सवाल यह उठता है कि आखिर निगम अपने ही बनाये नियमों व फैसलों पर क्यों नहीं अमल कर पाता.

न लगा प्रतिबंध, न हुए प्रचार-प्रसार
30 जून, 2012 को निगम बोर्ड की पहली बैठक में शहर में पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने का निर्णय हुआ. कार्यवाही पुस्तिका में लिखा गया कि ‘पॉलीथिन’ के प्रयोग पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रोक है.

इसके बावजूद भी पाया जाता है कि पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिसके कारण प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ नाली बहाव अवरुद्ध हो जाता है. गंदगी फैलती है. निर्णय लिया जाता है कि पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार कराया जाये. इसके बावजूद अगर प्रयोग होता है, तो दुकानदारों का लाइसेंस रद्द कर उन पर कार्रवाई की जाये.’ पर, न तो प्रतिबंध लगा, न ही प्रचार-प्रसार हुए.

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