बोधगया : तीन दिवसीय दौरे पर बोधगया आये भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक ने महाबोधि मंदिर के साथ-साथ बोधगया के आसपास स्थित प्राचीन स्थलों में भी दिलचस्पी ली. सोमवार को भूटान नरेश ने सबसे पहले भूटान मंदिर में पूजा-अर्चना की व मंदिर परिसर में स्थित बटर लैंप हाउस का दीप जला कर उद्घाटन किया.
इसके बाद भूटान नरेश ने 80 फुट बुद्ध मूर्ति का अवलोकन किया. इस दौरान भूटान की रानी (भूटान नरेश की पत्नी) जेट्सन पेमा वांग्चुक व साथ आये प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे.
लंच के बाद भूटान नरेश बोधगया के आसपास स्थित धरोहरों का हाल देखने निकल पड़े. कड़ी सुरक्षा के बीच भूटान नरेश सबसे पहले धर्मराज युधिष्ठिर के यज्ञ स्थल धर्मारण्य पहुंचे. उन्होंने यहां की महत्ता के बारे में जानकारी ली. इसके बाद उनका कारवां मतंगवापी पहुंचा. हालांकि, यहां आना उनके शिड्यूल में शामिल नहीं था. पर, धर्मारण्य में भ्रमण के दौरान मतंगवापी का जिक्र आया और भूटान नरेश ने मतंगवापी देखने की इच्छा जाहिर कर दी. मतंगवापी में देवी-देवताओं के मंदिरों के दर्शन करने के साथ ही यहां भगवान बुद्ध को खीर अर्पित करनेवाली मुद्रा में बनी सुजाता की प्रतिमा को भूटान नरेश व रानी ने काफी देर तक निहारा. उन्होंने मतंगवापी के इतिहास के बारे में भी जानकारी हासिल की.