गया: रेलवे स्टेशन माल गोदाम के पास आयुव्रेदिक दवाओं के कारोबार से जुड़े वैद्य अश्विनी कुमार के ठिकाने पर विगत 31 जुलाई की रात पड़े छापे के बाद से लगातार वहां पुलिस का पहरा लगा हुआ है. जिस मकान से वैद्य का कारोबार चलने की बात कही जा रही है, उसे खंगालने का काम जारी है. रविवार को भी पुलिस के लोग मकान के कोने-कोने में अपनी खोजी निगाहें दौड़ाते रहे. हर संदिग्ध वस्तु की पड़ताल करते रहे.
इतना ही नहीं, वैद्य के कारोबार की जांच में जुटे उच्चधिकारियों के निर्देश पर वन विभाग के लोग भी वहां पहुंचे. सैंपल एकत्र किये. उधर, ड्रग इंस्पेक्टर अपने सहयोगियों के साथ मिल कर रविवार को भी यहां से जब्त हुए सामान की सीजर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया में जुटे थे. इस बीच, सिटी एसपी राकेश कुमार ने इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि यह मामला जैसा लग रहा है, संभव है कि इसकी जांच के लिए इसे आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया जाये. खबर है कि वैद्य अश्विनी कुमार का आरा से संबंधित एक मामला पहले ही ईओडब्ल्यू के हवाले है.
वन विभाग ने संग्रह किया सैंपल : अश्विनी वैद्य के मामले की जांच में जुटे उच्चधिकारियों के सुझाव पर वन विभाग भी मामले की जांच में सक्रिय हो गया. जिला वन पदाधिकारी (डीएफओ) नेशा मणि के निर्देश पर वैद्य के ठिकाने पर रेंज ऑफिसर बीके झा के नेतृत्व में गये वन विभाग के कर्मचारियों ने वहां से सैंपल संग्रह किया. जानकारी के मुताबिक, कुल तीन तरह के सैंपल वहां से लिये गये हैं. इन सभी सैंपल की जांच किये जाने की बात कही गयी है.
कतरीसराय कनेक्शन की भी पड़ताल : नालंदा के कतरीसराय में भी बड़े पैमाने पर आयुव्रेदिक दवाओं का कारोबार चलता रहा है. पुलिस के मुताबिक, वैद्य अश्विनी कुमार का कारोबार वहां भी रहा है. फिलहाल वहां इनकी व्यावसायिक गतिविधियां किस तरह चल रही हैं, इस पर भी जांचकर्ताओं की नजर है. इनके कुल कारोबार के साइज के बारे में इससे पता चल सकेगा.
कतरीसराय में इस तरह के अवैध कारोबार के गहन अध्ययन के लिए वरीय अधिकारियों के निर्देश पर वर्ष 2011 में नालंदा के प्रशिक्षु डीएसपी राकेश कुमार, जो फिलहाल कटिहार (सदर) के डीएसपी हैं, ने काम किया था. इस मामले में उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं के कारोबार का अध्ययन कर अपनी एक रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी. उनकी इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे चल कर 2012 में नालंदा के एसपी निशांत कुमार तिवारी, जो फिलहाल गया के एसएसपी हैं, ने जिले के करीब 20 थानों की पुलिस के सहयोग से कतरीसराय में व्यापक छापेमारी की थी. पुलिस छापे में तब वहां चल रहे आयुव्रेदिक दवाओं के अरबों रुपयों के कारोबार का खुलासा हुआ था. इसी दौरान वहां कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. जानकारी के मुताबिक, पुलिस के उस सघन अभियान के बाद वैद्य अश्विनी कुमार की तरह कई दूसरे कारोबारियों ने अपना व्यवसाय गया समेत दूसरे शहरों से बढ़ा लिया.
कल शाम तक पूरी हो सकती है जांच प्रक्रिया
सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि अश्विनी वैद्य के ठिकाने से बरामद आयुर्वेदिक दवाओं से संबंधित दस्तावेजों की जांच में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सेल्स टैक्स (वाणिज्य कर विभाग), इनकम टैक्स व वन विभाग के अधिकारी लगे हैं. इनका अनुमान है कि मंगलवार की शाम तक वैद्य के ठिकाने पर चल रही जांच की प्रक्रिया पूरी हो जा सकती है. सिटी एसपी ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर को ही सीजर लिस्ट बनाने के बाद प्राथमिकी करनी है. अगर गुंजाइश बनती है तो सेल्स टैक्स व इनकम टैक्स विभाग को वैद्य से फाइन वसूलना होगा. पुलिस के हिस्से का बाकी काम प्राथमिकी के बाद शुरू होगा. पुलिस को फिलहाल प्राथमिकी दर्ज होने का इंतजार है.
सैंपल जांच के लिए वैद्य को बुलावा
वैद्य अश्विनी कुमार के ठिकाने से संग्रह किये गये सैंपल को लेकर वन विभाग के लोगों में काफी भ्रम है. इन तीनों ही सैंपल के बारे में वनकर्मियों की राय अलग-अलग है. वे निश्चित तौर पर इनके गुण व उपयोगिता के बारे में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं. इन्हें पता नहीं कि ये क्या चीजें हैं और इनमें से किसका उपयोग किस तरह के उपचार के लिए किया जाता है. ये चीजें असली हैं या नकली, फिलहाल यह भी कहने की स्थिति में कोई नहीं है. वैसे, इस गुत्थी को सुलझाने के लिए वन विभाग ने एक नया तरीका खोजा है. विभाग ने अश्विनी वैद्य के ठिकाने से मिली चीजों की पहचान और उपयोग को समझने के लिए खुद भी एक दूसरे वैद्य को बुलाने का फैसला किया है.