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भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार के लिए धर्मपाल ने लगाया जीवन

बोधगया : महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल की 154वीं जयंती के अवसर पर बोधगया स्थित महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका बौद्ध मठ) में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सोसाइटी के महासचिव पी सीवली थेर ने कहा कि भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार में धर्मपाल ने […]

बोधगया : महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक वेन अनागारिक धर्मपाल की 154वीं जयंती के अवसर पर बोधगया स्थित महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका बौद्ध मठ) में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सोसाइटी के महासचिव पी सीवली थेर ने कहा कि भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार में धर्मपाल ने अपना सारा जीवन लगा दिया.
उन्होंने 1891 में महाबोधि सोसाइटी की स्थापना की व महाबोधि मंदिर के विकास के लिए आजीवन संघर्षरत रहे. इसमें मुख्य अतिथि नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि 29 वर्ष की आयु में 125 वर्ष पहले अनागारिक धर्मपाल ने धर्म संसद में भाषण दिया था. उन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को इस प्रकार रखा जिससे महामानव बुद्ध के उपदेश पर विश्व का ध्यान आकृष्ट किया व भारत और श्रीलंका के साथ अन्य बौद्ध देशों व यूरोपीय देशों में अध्ययन की प्रक्रिया में तेजी आयी.
इन कारणों से भी अनागारिक धर्मपाल को बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार माना गया. तीन दिवसीय जयंती समारोह में रक्तदान शिविर, स्कूली बच्चों द्वारा निबंध व पेंटिंग प्रतियोगिता के साथ ही बौद्ध भिक्षुओं व श्रद्धालुओं द्वारा श्रीलंका बौद्ध मठ से महाबोधि मंदिर तक शोभायात्रा निकाली गयी. श्रीलंका से आये श्रद्धालुओं द्वारा भिक्षुओं को संघदान कराया गया व श्रीलंका बौद्ध मठ को रंग बिरंगी लाईटों से सजाया गया.

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