मानपुर : भारत को अंडर 19 क्रिकेट वर्ल्ड कप जितानेवाले टीम के कप्तान पृथ्वी का जुड़ाव जिला के मानपुर से है. उनका पैतृक घर यहीं है. हालांकि वह बचपन से मुंबई में रहे हैं.
रविवार काे मानपुर के शिवचरण लेन में अपने आवासीय भवन में ही कपड़े की दुकान चला रहे उनके दादा व दादी से मिलनेवालाें का तांता लगा रहा. सभी उन्हें पाेते की सफलता पर बधाईयां दे रहे थे. पृथवी सबसे पहले डेढ़ साल व फिर चार साल की उम्र में मानपुर आये थे. उसके बाद वह कभी मानपुर नहीं आये.
मानपुर बाजार के शिवचरण लेन (टीओपी ) के पास एक संकरी गली में विश्व कप जीत दर्ज कराने वाले अंडर-19 टीम के कप्तान पृथ्वी के दादा-दादी रहते हैं. दादा अशोक साव व दादी राम दुलारी देवी एक छोटी सी कपड़े की दुकान चलाते हैं. रविवार की सुबह से ही पोता पृथ्वी की कप्तानी में विश्वकप जीतने पर अशोक साव व उनकी पत्नी को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा.
दादा-दादी ने भी सुबह में ही विष्णुपद मंदिर पहुंच कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की व पोते की लंबी उम्र की कामना की. दादा ने बताया कि मेरे पोते ने न सिर्फ राज्य बल्कि देश का नाम संसार में रोशन किया है. भगवान उसे आैर ऊंचाईयों तक पहुंचाये. दादा ने बताया कि बेटा पंकज साव (36) को महज 12- 13 साल की उम्र में ही अपने परिचित के पास शिक्षा के लिए मुंबई भेज दिया था क्योंकि मानपुर का माहौल मुझे पसंद नहीं था.
पंकज ने शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ जीविकोपार्जन के लिए मुंबई के सांताकुंज के पास छोटी सी रेडिमेड गारमेंट की कंपनी खोल ली. पंकज ने मुंबई में ही शादी भी कर ली. जब पृथ्वी ने जन्म लिया, उसके चार साल बाद ही मां का देहांत हो गया. पृथ्वी बचपन से ही काफी मेहनती रहे हैं. खेल के प्रति भी उनका काफी गहरा लगाव है. इसका ही परिणाम है कि पृथ्वी की कप्तानी में भारत ने अंडर-़19 विश्वकप में जीत दर्ज की.
पृथ्वी की सफल कप्तानी पर मानपुर के लोगों ने दी बधाई पड़ोस के रहने वाले वार्ड पार्षद नंदलाल तांती, ज्योति देवी, राजकुमार साह उर्फ बाबू , रंजीत कुमार तांती के अलावा अन्य लोगों ने भीपृथ्वी की सफलता पर उन्हें बधाईयां दी हैं.
कप्तान के दादा पहले चलाते थे भाड़े का वाहन
अशोक साव ने बातचीत के दौरान बताया कि वह परिवार चलाने के लिये भाड़े की गाड़ी चलाते थे. पर, इस रोजगार में परिवार के भरण-पोषण में समस्याएं आने लगीं. बाद में पंकज के कहने पर पैतृक घर के एक कमरे में ही बालाजी कटपीस सेंटर नाम की दुकान खाेली. आज उस दुकान से जो आमदनी हाेती है उसी से जीवन की गाड़ी चल रही है. बेटा मुंबई से सस्ते दर के कटपीस के कपड़े भेजता है. हम यहां कपड़े को वजन कर बेचते हैं जिसके ग्राहक भी सीमित हैं.
दिसंबर में मुंबई एयरपोर्ट पर पोता को श्रीलंका जाने के लिए वाहन से छोड़ा
अशोक ने बताया कि दिसंबर में मैं पंकज के घर मुंबई गया था. वहीं मेरा ह्दय रोग का इलाज भी हुआ. तब पृथ्वी को अंडर-19 टीम का कप्तान चुना गया था.
जब पृथ्वी घर आये तो अंग्रेजी में बोले कि दादा मुझे कप्तान बनाया गया है, आपने हमें बधाई भी नहीं दी. पर, अंग्रेजी की जानकारी नहीं होने की वजह से मैं उनकी बातों को समझ नहीं सका. बाद में जब पंकज ने समझाया तो मैंने पृथ्वीे को गले लगा कर बधाई दी. दूसरे ही दिन पृथ्वी को एक मीटिंग के लिये श्रीलंका जाना था. पंकज के साथ मैं भी पृथ्वी को एयरपाेर्ट तक छाेड़ने गया था. आज उनकी जीत पर काफी खुशी हो रही है.