आयोजन. राष्ट्रीय एकेडमिक लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू
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वीसी व रजिस्ट्रार दायित्वों का करें निर्वहन, तभी होगा सुधार
आयोजन. राष्ट्रीय एकेडमिक लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो वेद प्रकाश ने किया संबोधित गया/बाेधगया : दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) की तरफ से छह दिवसीय राष्ट्रीय एकेडमिक लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ बोधगया इलाके में गया-डोभी रोड स्थित एक होटल के सभागार में सोमवार को किया गया. इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय अनुदान […]
यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो वेद प्रकाश ने किया संबोधित
गया/बाेधगया : दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) की तरफ से छह दिवसीय राष्ट्रीय एकेडमिक लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ बोधगया इलाके में गया-डोभी रोड स्थित एक होटल के सभागार में सोमवार को किया गया. इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व चेयरमैन प्रो वेद प्रकाश, शैक्षिक तकनीकी व प्रबंधन अकादमी-नयी दिल्ली के शैक्षिक निदेशक प्रो मरमर मुखोपाध्याय व सीयूएसबी के कुलपति प्रो हरिशचंद्र सिंह राठौर ने दीप जला कर किया. इस संगोष्ठी में उपस्थित पूर्वोत्तर क्षेत्र के 17 विश्वविद्यालयों व संस्थानों के शैक्षिक व प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो वेद प्रकाश ने सीयूएसबी को यूजीसी के नैक में ग्रेड ए प्राप्त करने के लिए काफी प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से वर्तमान तक स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक के शैक्षिक संस्थानों में वृद्धि हुई है. उन्होंने ब्रिटिश राज से अब तक उच्च शिक्षा प्रणाली के विकास पर चर्चा की और उन्होंने बताया कि 1857 में स्थापित तीन विश्वविद्यालयों- कोलकाता विश्वविद्यालय व मुंबई विश्वविद्यालय व मद्रास विश्वविद्यालय ने इस देश में उच्च शिक्षा की अच्छी शुरुआत की. उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता में हो रही गिरावट के लिए चिंता व्यक्त की और कहा कि इस संदर्भ में पाठ्यक्रम व कक्षा-कक्ष प्रणाली और निर्देशों की पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है. उन्होंने शैक्षिक योजना व विकास में दुनिया के अन्य देशों के सामने नेता बनने के लिए अमेरिका व रूस की भूमिका का उदाहरण दिया.
दूरदर्शी नेतृत्व के बारे में बताते हुए उन्होंने हिंदू कॉलेज व सेंट स्टीफंस कॉलेज आदि जैसे संस्थानों का उदाहरण दिया, जहां दूरदर्शी नेतृत्व का अभ्यास बेहद प्रचलित है. उन्होंने उच्च शिक्षा के प्रशासन की चुनौतियों के संदर्भ में कहा कि विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारियों जैसे कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी व परीक्षा नियंत्रक आदि को सामूहिक रूप से अपने-अपने दायित्वों का निर्वहण करने की आवश्यकता है, तभी विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में सुधार व संवर्द्धन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी सिस्टम से जुड़े कानून, अध्यादेश व विनियमों के बारे में विश्वविद्यालय के प्रमुख पद धारकों को अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए.
समाज की निगरानी में रहता है विश्वविद्यालय : उन्होंने विश्वविद्यालय के सुशासन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि अच्छी संचार क्षमता, दृढ़ता, उच्च नैतिकता व मूल्यों की अनुप्रयोगिता, सामूहिक जिम्मेदारी, प्रेरणा व प्रतिनिधिमंडल की गुणवत्ता आदि पर जोर दिया. उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा समाज की निगरानी में रहता है, जहां विश्वविद्यालय समुदाय स्वयं को समाज के सामने उसके अनुसार प्रस्तुत करना चाहिए. इस कार्यक्रम में आठ राज्यों के 17 विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, वित्त अधिकारियों, परीक्षा नियंत्रकों, संस्थान विकास परिषद के निदेशक, लेखा नियंत्रक, अधीक्षक व लेखा अधिकारी ने भाग लिया.
इस मौके पर सीयूएसबी की शिक्षा पीठ की विभागाध्यक्ष सह पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग स्कीम की नोडल अधिकारी प्रो रेखा अग्रवाल, मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो कुसुम कुमारी, प्रो कौशल किशोर, डॉ तपन कुमार बसंतिया, डॉ स्वाति गुप्ता व डॉ जितेंद्र सहित अन्य लोग मौजूद थे.
संगोष्ठी में शामिल हो रहे 17 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि
सीयूएसबी के शैक्षिक स्तर पर है गर्व : कुलपति
अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो हरिशचंद्र सिंह राठौर ने कहा कि उन्हें सीयूएसबी के शैक्षिक स्तर पर गर्व है. सीयूएसबी हाल ही में सीबीएसई मॉडल में दो दर्जन पाठ्यक्रमों को अपनाने की दिशा में चल रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मानक में कोई समझौता नहीं करूंगा. कुलपति ने कहा कि सीयूएसबी अपने विकास की प्रारंभिक अवस्था में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहा है. उन्होंने विभिन्न अकादमिक क्षेत्र के साथ अन्य गतिविधियों में उच्च प्रदर्शन के लिए सीयूएसबी के छात्रों की प्रशंसा की.
उपेक्षित है माध्यमिक शिक्षा का क्षेत्र : मरमर मुखोपाध्याय
शैक्षिक तकनीकी व प्रबंधन अकादमी-नयी दिल्ली के शैक्षिक निदेशक प्रो मरमर मुखोपाध्याय ने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के बीच माध्यमिक शिक्षा सबसे उपेक्षित क्षेत्र है, हालांकि माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक व उच्चतर शिक्षा के बीच की कड़ी है. उन्होंने पिछले दिनों से अब तक उच्च शिक्षा के बारे में अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किया.
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