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मधेपुरा के इस दुर्गा मंदिर में भक्तों की सभी मुरादें होती है पूरी, दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग

Durga puja 2022: मधेपुरा के मंजौरा में नव दुर्गा मंदिर 21 वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर को मनोकामना मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की विशेषता यहां की शृंगार पूजा है. यहां पशुओं की बली भी दी जाती है.

मधेपुरा: उदाकिशुनगंज के मंजौरा में नव दुर्गा मंदिर 21 वर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर को मनोकामना मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की विशेषता यहां की शृंगार पूजा है. एक क्विन्टल मिष्ठान प्रति वर्ष प्रसाद चढ़ाया जाता है. मेला में प्रत्येक वर्ष बलि प्रदान की जाती है. नवमी के दिन 400 से अधिक बलि प्रदान किया जाता है. दुर्गा मंदिर कमेटी अनुसार दुर्गा पूजा आयोजन में हर वर्ष लगभग पांच लाख रूपये का खर्च आता है.

हर्षोल्लास के साथ की जाती है मां दुर्गा की आराधना

वर्ष 2001 से उत्साह पूर्वक मंदिर कमेटी के सदस्य एवं स्थानीय ग्रामीणों द्वारा हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा मनाया जाता है. मेला में हर वर्ष नवमी और दशमी को अंर्तराज्यीय उम्दा कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम मैया जागरण की प्रस्तुती कराई जाती है. जौतेली, रहुआ, रामपुर, लक्ष्मीपुर लालचंद, देवेल, बायशी टोल, चायटोल कुम्हारपुर, संथाल टोला इन सब गांवों के बीच यह प्रसिद्ध मेला इन सब ग्रामवासियों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. मंदिर कमेटी के सदस्य दुर्गा पुजा की तैयारी में पुरी ताकत झोंक दिया है. काफी उत्साह पूर्वक बीते तीन साल पहले मंदिर को आधुनिक ढंग से भव्यता प्रदान कराया गया है.

भक्तों की सभी की मनोकामनाएं होती है पूरी

जानकारी के अनुसार वर्ष 2001 में लक्ष्मीपुर लालचंद में स्थापित मां भगवती के भव्य मंदिर से मंजौरा के नौ सदस्यों का एक टीम गठित की गई. टीम में अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष राजेश सिंह एवं सचिव नवल किशोर पासवान के नेतृत्व में पान करा करके लक्ष्मीपुर लालचंद से कलश लाकर मंजौरा में माता भगवती दुर्गा को स्थापित किया गया. तत्काल माता भगवती को गांव के ही प्रसिद्ध काली मंदिर में रखा गया. कमेटी के सदस्यों ने धीरे-धीरे चंदा इकट्ठा कर नीचे दीवाल और उपर फूस का मंदिर बना कर माता भगवती को स्थापित किया गया. धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का मनोकामना पूर्ण होता गया और मंदिर में भरपूर चढ़ावा आना शुरू हो गया. माता भगवती मंदिर में सोने चांदी और रुपयों का अंबार लगने लगा और मंदिर की भव्यता बढ़ती गई.

भव्य मंदिर का कराया गया है निर्माण

बीते तीन साल पहले आधुनिक रूप से मंदिर की सौंदर्यीकरण और भव्यता को बढ़ाया गया था. 17 वर्षों के बाद पुराने कमेटी को भंग कर 2018 में नई कमेटी का निर्माण कराया गया. जिसमें अध्यक्ष पद पर मंजौरा के पूर्व सरपंच अजय शंकर सिंह व कोषाध्यक्ष नवल किशोर मेहता, सचिव दीपक झा, उपाध्यक्ष विपिन मंडल को बनाए गया. अब इन सभी के तत्वाधान में मेला लगाया जा रहा है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगती है. उनकी मुरादें निश्चित रूप से पूरी होती है. गांव के हीं स्थानीय श्रद्धालु निर्मल प्रसाद सिंह जो कि वर्तमान समय में मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ प्रांत में रह रहे हैं. उन्होंने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जलाभिषेक करने के लिए मंदिर परिसर में कुआ का निर्माण कराया.

साथ हीं दुर्गा मंदिर परिसर के बगल में एक मंदिर का निर्माण कराया जिसमे शिव-पार्वती और बजरंगबली का प्रतिमा को स्थापित की. जो लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. वहीं ग्रामीण पांडव कुमार ने बताया कि यहां दूरदराज से लोग आते हैं और पूजा पाठ कर मां भगवती से आशीर्वाद लेकर अपना मनोकामना पूर्ण करते हैं.

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