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क्रांतिकारी व लोकतांत्रिक नेता थे आंबेडकर

दरभंगा : बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर क्रांतिकारी एवं लोकतांत्रिक नेता रहे. उस दौर के नेतृत्व करने वालों में डॉ आंबेडकर उपरी पायदान के लोग थे. भारत में जब भी लोकतंत्र पर खतरा होता है, आंबेडकर का विचार प्रासंगिक हो जाता है. बुंदेलखंड विवि यूपी के प्रो रामायन राम ने ये बातें लनामिवि की ओर […]

दरभंगा : बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर क्रांतिकारी एवं लोकतांत्रिक नेता रहे. उस दौर के नेतृत्व करने वालों में डॉ आंबेडकर उपरी पायदान के लोग थे.
भारत में जब भी लोकतंत्र पर खतरा होता है, आंबेडकर का विचार प्रासंगिक हो जाता है. बुंदेलखंड विवि यूपी के प्रो रामायन राम ने ये बातें लनामिवि की ओर से शुक्रवार को विवि के नरगौना परिसर स्थित जुबली हॉल में आयोजित विचार गोष्ठी में कही. वर्तमान संदर्भ में बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी में प्रो राम ने कहा कि आंबेडकर ने जाति उन्मूलन, समता मूलक समाज की स्थापना एवं भारत में सम्पूर्ण लोकतंत्र को स्थापित करने का काम किया. वर्तमान समय में डॉ आंबेडकर के आर्थिक विचार को सामने लाने की जरूरत है.
इतना ही नहीं राज्य एवं अल्पसंख्यक नामक दस्तावेज में लिखे गये प्रस्ताव के अनुपालन की आवश्यकता है. उसमें आंबेडकर ने लिखा है कि कृषि, भारी उद्योग एवं बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण आवश्यक है. यह भी लिखा है कि भारतवासी के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी है तो कृषि, भारी उद्योग एवं बीमा कंपनियों का निजीकरण नहीं करना चाहिए. जाति उन्मूलन के बाबत डॉ आंबेडकर ने कहा है कि हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी बातों से वर्ण प्रथा को बल मिलता रहा है जो जाति उन्मूलन में बाधक की भूमिका निभा रहा है.
कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि डॉ आंबेडकर जैसे महापुरूष के विचारों को शब्दों में बांधना धृष्टता है. इसके लिए उनके जीवन यात्रा को समझना आवश्यक है. इसको समझने से ही उनके विचार एवं उनके दर्शन को समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि डॉ आंबेडकर जीवन पर्यंत समानता की लड़ाई लड़ते रहे. जिस उम्र में उन्होंने असमानता की समस्या से जूझा वह उम्र उन्हें विद्राही भी बना सकता था, परंतु शिक्षा के बल पर अर्जित ज्ञान के कारण उन्होंने इस बात को महसूस किया कि शिक्षा के विकास से समानता की भावना को जागृत किया जा सकता है.
डॉ आंबेडकर ने ऐसा ही किया. कुलपति ने कहा कि प्रतिभा प्रत्येक व्यक्ति के भीतर होता है. उसे निखारने के लिए ललक एवं प्रयास जरूरी होता है. प्रतिभा डॉ आंबेडकर में भी भरा था. उनके सीखने की ललक और किये गये प्रसास की बदौलत वे अर्थशास्त्र विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर वे इस विषय के पहले पीएचडीधारक हुए. उन्होंने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में उनके योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है. जब तक आर्थिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी विकसित नहीं होगा तब तक उपरी पायदान के श्रेणी में शामिल नहीं हो सकता. प्रो सिंह ने कहा कि डॉ आंबेडकर के विचारों एवं दर्श को वृहत्त रूप से देखने की जरूरत है.
ललितपुर, यूपी के पलावाराबाढ़ स्थित गवर्मेंट डिग्री कॉलेज के प्रो दीपक हरपाल दिवाकर ने कहा कि डॉ अम्बदेकर को अधिकांश लोग केवल दलित के मसीहा एवं संविधान निर्माता के रूप में ही जानते हैं, जबकि उनकी भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर इससे इतर भी रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के विकास में उनकी अहम भूमिका रही है.
विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिजली, पानी, मजदूर वर्ग के उत्थान में उनका अमूल्य योगदान रहा है. इसके अलावा डॉ आंबेडकर का योगदान भूमंडलीकरण एवं औद्योगिकीकरण के लिए भी काफी सराहनीय रहा. पूर्व उपकुलसचिव डॉ केके सुमन ने कहा कि डॉ आंबेडकर के विचारों को विकसित नहीं होने दिया गया. जातीय बंधन में बांधकर उनके ही वर्ग एवं जाति के लोगों ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरी करने के कारण उनके विचारों व दर्शन को सीमित दायरे में समेटे रखा. संगोष्ठी में सिंडिकेट सदस्य डॉ बैद्यनाथ चौधरी, प्रधानाचार्य डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी, पूर्व कुलसचिव डॉ रामनंदन यादव, डॉ जितेंद्र नारायण आदि ने संबोधित किया.
सीसीडीसी डॉ मुनेश्वर यादव ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि जातिवाद मानवीय गरिमा एवं समानता के खिलाफ है. कुलसचिव डॉ अजित कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ भीमराव आंबेडकर के बाबत कहा कि वे असंभव को संभव बनाने वाले थे. संचालन भू संपदा पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने किया.

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