ठंड. पछुआ हवा से छूटी कंपकंपी, बच्चों व बूढ़ों की बढ़ी परेशानी
तेजी से बदल रहा मौसम का मिजाज
सामान्य दिनों में अमूमन तापमान करीब 33 डिग्री रहता था. पछुवा हवा चलने के कारण अचानक पारा लुढ़ककर 19 डिग्री पर आ गया. वह भी दोपहर में. तापमान में अचानक आयी गिरावट ने मौसम के मिजाज को पूरी तरह से बदल दिया. सुबह जब लोगों ने अपने घर की खिड़की खोली तो अंदर आये तेज सर्द थपेड़ों ने खिड़की वापस बंद करने पर मजबूर कर दिया.
बढ़ी ठंड, अलाव की व्यवस्था करने में लगे लोग ऊनी कपड़ों की सजी दुकान.
दरभंगा : अगहन समाप्ति की ओर है, इस बार लगता है ठंढ नहीं पड़ेगी, यह कहनेवालों को मौसम ने रविवार को अपने तेवर का एहसास करा दिया. अचानक मौसम के बदले मिजाज ने जनजीवन को पहले ही झटके में अस्त-व्यस्त कर दिया.
एक दिन पहले तक पतली कमीज पहनकर इठलाते नजर आनेवालों को गरम कपड़े में खुद को छिपाने पर मजबूर कर दिया. पछुवा हवा ने पहले ही दिन अपना रंग दिखा दिया. कंपकपी बढ़ा दी. सर्द हवा के झोंकों ने अंदर तक हिला सा दिया. इससे खास तौर पर बुजुर्गों व बच्चों की परेशानी बढ़ा दी है.
दो दिनों से धूप की आंख-मिचौनी जारी रहने से ठंढ में धीरे-धीरे हो रही वृद्धि ने अचानक उग्र रूख आख्तियार लिया है.
चाय दुकानों की बढ़ी रौनक : मौसम के मिजाज में आये अचानक बदलाव की वजह से रविवार की शाम ढलते ही सड़कें सूनी होने लगी. लोगों से जगमग रहनेवाले चौक-चौराहों पर सात बजते-बजते सूनापन छाने लगा. इसने चाय की दुकानों की रौनक जरूर बढ़ा दी. लोग गरम चाय की चुस्की के संग मौसम में आये बदलाव पर अपने गंभीर विचार व्यक्त करते रहे.
वहीं बीच-बीच में दर्शन दे रहे सूर्य देव की झलक पाने के लिए छतों की मुंडेर पर महिलाएं पहुंच गयी. हालांकि उन्हें अपनी गलती का एहसास तुरंत हो गया और सरपट वापस आ गयी.
सर्दी का सितम
फुटपाथ पर रात गुजारने वालों के िलए मुसीबत
सर्द हवा के तेज होते ही घरों में अंगीठी व अलाव की व्यवस्था शुरू हो गयी है. बढ़ते ठंढ में सबसे ज्यादा समस्या सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले लोगों को हो रही है. रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल आदि के समीप वैसे ही रात गुजारनेवाले इधर से उधर गरमी की तलाश में भटकते नजर आये. कोई चाय की दुकान के पास तो कोई होटल में जल रहे चूल्हे की तपिश लेते दिखे.
बक्से से िनकाले गर्म कपड़े, बदली रुटीन
अचानक बढ़ी ठंड ने ट्रंक आदि में अब तक बंद पड़े गरम कपड़ों की याद दिला दी. स्वेटर, जैकेट के साथ ही ऊनी चादर बाहर निकल आये. टोपी, मफलर आदि की जरूरत महसूस होने लगी. लोग गरम कपड़े पहन कर ही घर से बाहर निकल सके. वहीं एक दिन में ही ठंड को लेकर लोगों का नजरिया पूरी तरह बदला दिखने लगा. लोगों ने ठंडक में अपने रोजमर्रा के काम में भी बदलाव िकया है़