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टेंपोचालकों ने बिगाड़ा शहर का ट्रैफिक

मनमानी. अधिकतर चालकों का पेपर फेल दरभंगा : नगर की यातायात व्यवस्था पर टेंपो रिक्शा चालकों की मनमानी भारी पर रहा है. गाड़ियों की लगातार बढ़ रही संख्या, सिकुड़ते सड़क, अकुशल चालक, यात्रियों को गाड़ी पर चढ़ाने की होड़ ने व्यवस्था को बदरंग कर दिया है. हर जगह चालकों की मनमानी की तसवीर आम है. […]

मनमानी. अधिकतर चालकों का पेपर फेल

दरभंगा : नगर की यातायात व्यवस्था पर टेंपो रिक्शा चालकों की मनमानी भारी पर रहा है. गाड़ियों की लगातार बढ़ रही संख्या, सिकुड़ते सड़क, अकुशल चालक, यात्रियों को गाड़ी पर चढ़ाने की होड़ ने व्यवस्था को बदरंग कर दिया है. हर जगह चालकों की मनमानी की तसवीर आम है. नगर में सड़क दुर्घटना का अधिकांश कारण लापरवाही से टेंपो संचालन ही बन रहा है. जुड़वां नगर दरभंगा व लहेरियासराय के बीच यातायात का टेंपो सर्वसुलभ साधन है.
गाड़ियों की अधिक संख्या के कारण सवारी चढ़ाने की चालकों में मारामारी रहती है. सड़क किनारे जहां कहीं यात्रियों ने हाथ दिखाया कि वहां से गुजरते कई टेंपो उसे घेर लेते हैं. इस क्रम में यह भी नहीं देखा जाता कि गाड़ी को साइड में रोकी जाए. इस कारण पीछे से तेज रफ्तार से आने वाली अन्य गाड़ियां दुर्घटना की शिकार होती रहती है. जब कभी कोई मामला फंसता है तो सभी ऑटो चालक एक सुर में बोलने लगते हैं.
वसूला जाता है मनमाना किराया
करीब छह किलोमीटर की दूरी के लिए प्रशासन ने 15 रुपये तय कर रखा है. सीधे जाने वालों से तो करीब इतना ही पैसा लिया जाता है लेकिन बीच में उतरने वालों से चालक मनमाना भाड़ा वसूल करते हैं. दरभंगा स्टेशन से दरभंगा बस स्टेंड की दूरी करीब एक किलोमीटर है. इस बीच में यात्रा करने वालों से 10 से 15 रुपये तक की वसूली की जाती है. यही हाल अन्य खंडों में का भी है. यात्रियों द्वारा विरोध करने पर भी चालक कुछ सुनने को तैयार नहीं होते.
सड़क पर लगायी जाती हैं गाड़ियां : नगर में टेंपो स्टैंड की संख्या काफी कम है. जो है भी वहां चालक टेंपो लगाना नहीं चाहते. अधिकांश टेंपो चौक-चौराहे पर ही लगाये जाते हैं. इससे उन्हें आगे बढ़कर यात्रियों को चढ़ाने में आसानी होती है. इस प्रक्रिया में चौक-चौराहे पर जाम की समस्या लगातार बनी रहती है. ट्रैफिक पुलिस लाख कोशिश करे चालक उसकी बात मानने को तैयार नहीं होते.
अनुभवहीन चालकों की भरमार
कागजी प्रमाण पत्र पर ही चालक का ड्राइविंग लाइसेंस डीटीओ कार्यालय से निर्गत कर दिया जाता है. भले चालक का आचरण एवं अनुभव वाहन चलाने लायक हो या नहीं. यही कारण है कि सड़क दुर्घटना के अधिकांश मामले में टेंपो रिक्शा चालक की संख्या अधिक होती है. चालक को पता नहीं रहता कि कहां और कैसे रुकना है. कहां सवारी को चढाना उतारना है.
क्षमता से अधिक लोड: टेंपो में निर्धारित क्षमता से अधिक यात्रियों को चढ़ाया जाता है. इसके लिए चालक यातायात नियम का खुलेआम उलंघन करते हैं. इसे न तो विभाग देखता है और न ही पुलिस. ड्राइवर की सीट पर भी तीन-तीन यात्रियों को चढ़ा लिया जाता है. आगे दाया तरफ सुरक्षा रॉड लगाना भी जरूरी नहीं समझा जाता. यहां तक कि ऑटो के ‍ऊपर भी यात्रियों को चढ़ाने से चालक परहेज नहीं करता.
लहरियाकट चलाते हैं वाहन
अधिकांश टेंपो चालक नई उम्र के होते हैं. इनमें आगे बढ़ने की होड़ सी रहती है. लहरियाकट गाड़ी चलाना ये अपनी योग्यता समझते हैं. इस कारण सड़क पर चलने वाले लोग ऑटो को आते-जाते देख दूर से ही सतर्क हो जाते हैं. विशेष परेशानी दो पहिया वाहन चालकों को होती है. दोपहिया वाहन चालक हमेशा सतर्क रहते हैं. टेंपो कब कहां रूक जाये यह जानना मुश्किल होता है.
इन जगहों पर अधिक परेशानी
नगर के बाघ घर मोड़, बेला मोड़, म्यूजियम गुमती, दोनार चौक, स्टेशन रोड, मिर्जापुर, अल्लपट्टी, लहेरियासराय टावर, लोहिया चौक, नाका नंबर पांच, छह, हसनचक, कादिराबाद आदि में टेंपो चालकों के कारण लोगों को परेशानी होती है. टेंपो चालक इन जगहों पर यात्री चढ़ाने के लिए गाड़ी रोक कर रखते हैं. इन जगहों पर यात्रियों की छीना-झपटी आम है.
यात्रियों को चढ़ाने की लगती है होड़
यात्री चढ़ाने को सड़क पर लगा टेंपो.
जिला में चलने वाले अधिकतर टेंपो का पेपर फेल है. समय-समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है. जब- तक पूरा पेपर दुरुस्त नहीं किया जाता, फिटनेस का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है.
एसपी तिवारी, मोटरयान निरीक्षक
जिले में एक हजार टैंपू का रजिस्ट्रेशन विभाग में है, परंतु रोड पर कितना चल रहा है यह आंकड़ा नहीं है. वर्ष 2015- 16 में 114 एवं वर्ष 2016- 17 में अब तक 58 ऑटो रिक्शा का निबंधन विभाग कराया गया है.
विकास कुमार, डीटीओ
चालक का प्रमाण पत्र निर्गत करने से पहले विभाग को भौतिक सत्यापन कराना चाहिए. टेंपो स्टैंड के नाम पर राशि निगम द्वारा ली जाती है, पर स्टैंड आज तक बना कर नहीं दिया गया. कुछ जगह पर स्टैंड है भी तो सवारी वहां उतरना नहीं चाहते.
कृष्णदेव पूर्वे, जिला मंत्री, ऑटो रिक्शा संघ

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