दरभंगा : चंदा जनि उगू आजुक राति, अनुपमा मिश्र ने सोमवार की शाम विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में एमएलएसएम कॉलेज में जैसे ही इस गीत की पंक्ति को स्वर दिया मानो पूनम की रात में चांद ठहर गया. रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शक श्रोता तो गीतों की बरसात से नहा रहे ही थे, मधुर […]
दरभंगा : चंदा जनि उगू आजुक राति, अनुपमा मिश्र ने सोमवार की शाम विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में एमएलएसएम कॉलेज में जैसे ही इस गीत की पंक्ति को स्वर दिया मानो पूनम की रात में चांद ठहर गया. रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शक श्रोता तो गीतों की बरसात से नहा रहे ही थे, मधुर कंठों से फूटते कर्णप्रिय संगीत ने निशिकांत के कदम को भी मानो रोकने लगे. श्रोताओं की तमन्ना थी की आज की रात ठहर जाये. यह मनोहारी अवसर बरकरार ही रहे.
न रात बीते और न ही नजारा बदले. रात जैसे जैसे ढलती गयी. मैथिली लोक संगीत की महफिल जवान होती चली गयी. सुरेश पंकज के द्वारा प्रस्तुत सुपरिचित स्वागत गीत परमप्रिय पावन तिरहुत देश के द्वारा शुरुआती दौर में डाली गयी. लोक संगीत की नींव पर कुंज बिहारी मिश्र ने इमारत बुलंद कर दी.
अरविंद झा ने एक बार फिर खुद को मिथिला का मुकेश साबित किया तो जूली झा ने अपनी आवाज की खनक बिखेर दी. माधव राय के मंच पर आते ही नौजवान श्रोता जहां उछल पड़े, वहीं रामबाबू झा ने अपने गीत के स्वर लहरियों पर थिरकने के लिए मजबूर कर दिया. कुमकुम मिश्र, ओम प्रकाश सिंह, कृष्ण कन्हैया आदि के गीतों का रसास्वादन पूरी रात श्रोता करते रहे. रामसेवक ठाकुर ने अपने अंदाज में गुदगुदाया तो नटराज डांस एकेडमी के कलाकारों ने नृत्य की भाव भंगिमा से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया.