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रोगों पर नियंत्रण को नहीं है तैयारी

लापरवाही. डायरिया से अब तक चार की मौत चार प्रखंडों के कई गांवों के बच्चे डायरिया की चपेट में पीएचसी में कई दवाओं के लिए हाहाकार दरभंगा : जिले में डायरिया से चार मरीजों की हुई मौत ने स्वास्थ्य महकमे की हवा निकाल दी है. इस रोग के नियंत्रण को लेकर गांवों में बरसात से […]

लापरवाही. डायरिया से अब तक चार की मौत

चार प्रखंडों के कई गांवों के बच्चे डायरिया की चपेट में
पीएचसी में कई दवाओं के लिए हाहाकार
दरभंगा : जिले में डायरिया से चार मरीजों की हुई मौत ने स्वास्थ्य महकमे की हवा निकाल दी है. इस रोग के नियंत्रण को लेकर गांवों में बरसात से पूर्व कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया. इधर दवा खरीद के पेचींदा प्रक्रिया से स्वस्थ्य महकमे हांफ रहा है. इसका नतीजा सामने है कि चार प्रखंडों के कई गांव के बच्चे डायरिया की चपेट में है. दवा के लिए पीएचसी में हाहाकार मचा है. डायरिया के प्रकोप के करीब 10 दिन बीत गये लेकिन पीएचसी में रोगियों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले पा रहा है.
मौत के बाद होगी दवा की खरीद
जिले के चार प्रखंडों में डायरिया से अबतक चार बच्चों की मौत हो चुकी है. दर्जनों बच्चे अभी भी कई पीएचसी और अनुमंडल अस्पताल में भर्ती है. कई जीवन रक्षक दवाओं की खरीद नहीं हो पायी है. स्थानीय स्तर पर तीसरी बार दवा खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. यह प्रक्रिया 16 अक्टूबर से शुरू हुई है. 21 दिनों के भीतर आपूर्तिकर्ताओं को टेंडर भरने का समय दिया गया है. सारी प्रक्रियाओं में करीब तीन माह लगेंगे. तबतक मरीज दवाओं के अभाव में दम तोड़ते रहेंगे.
खाद्य जांच विभाग पंगु
फूड जांच अधिकारी ने बरसात के पूर्व कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया. मसलन दुर्गा पूजा के मौके पर मक्खियों से भिनभिनाते खाद्य पदार्थों और बसिया मिठाई की खूब बिक्री हुई. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की है. यही हाल पीएचइडी और स्वास्थ्य विभाग में भी है. विभाग की ओर से जलजनित रोंगों के नियंत्रण का उपाय नहीं किया गया.
जांच को भेजे गये नमूने
फूड इंस्पेक्टर अजय कुमार ने डायरिया से प्रभावित क्षेत्रों की दुकानों से आधा दर्जन खाद्य पदार्थों के नमूने जाचं के लिए कोलकाता भेजा है. पेयजल के नमूने की जांच डीएमसीएच स्थित लेबोरेटरी में होरही है.
सीएस कार्यालय
के लिए रेट एप्रूव नहीं
सरकार ने डीएमसीएच प्रशासन को स्थानीय स्तर पर दवा खरीदने के लिए रेट एप्रूव कर दिया है. लेकिन सीएस कार्यालय को यह सुविधाएं नहीं है. इसको लेकर कई बार टेंडर तो निकाला गया लेकिन रेट एप्रुव नहीं होने के कारण दवा की आपूर्ति नहीं हो पायी है. अंत में जेनरल निविदा प्रकाशित की गयी है. इसके पूर्व दो टेंडर में मात्र एक निविदा डाली गयी.
कई जीवनरक्षक
दवाओं का अभाव
अस्पतालों में मेटाकलोपोमाइट, जिंक टेबलेट, जेंटामाइसीन, एलिथ्रोमाइसीन, सिप्रोफ्लोक्सासीन, गैमेक्सिन, ब्लिचिंग पाउडर समेत 14 दवा का अभाव है. जलजनित रोंगों से बचाव के लिए 29 प्रकार की दवा तय किया गया है. दूसरी ओर ओपीडी के 33 दवाओं में से 15 और इंडोर के 112 में से 15 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध है.

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