विभाग लाचार. 10 सालों में 17 करोड़ का बिजली बिल
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डीएमसीएच पर ” सात करोड़ का बिल बकाया
विभाग लाचार. 10 सालों में 17 करोड़ का बिजली बिल दरभंगा : डीएमसीएच में हरेक माह लाखों रुपये की बिजली चोरी होती है. परिसर में लोग बिजली चोरी भी करते हैं और सीनाजोरी भी. बेवश डीएमसीएच प्रशासन बिजली चोरी करने वालों पर लगाम लगाने में लाचार हैं. चोरी के बिजली के एवज में विभाग को […]
दरभंगा : डीएमसीएच में हरेक माह लाखों रुपये की बिजली चोरी होती है. परिसर में लोग बिजली चोरी भी करते हैं और सीनाजोरी भी. बेवश डीएमसीएच प्रशासन बिजली चोरी करने वालों पर लगाम लगाने में लाचार हैं. चोरी के बिजली के एवज में विभाग को बिल भुगतान करना पड़ता है. गत 10 सालों में अगस्त 16 तक बिजली मद में 17 करोड़ रुपये डीएमसीएच पर बकाया दिखाया गया है.
इसमें डीएमसीएच प्रशासन ने 10 करेाड़ से अधिक रुपये बिजली विभाग को भुगतान कर दिया है. बावजूद सात करोड़ से अधिक रुपये डीएमसीएच पर बकाया है. डीएमसीएच में अधिकांश मशीनें ठप हैं, लेकिन परिसर में रहने वाले कर्मियों का चूल्हा बिजली पर ऑन है. छात्रावास के मेस वाले तक छात्रों का खाना बिजली पर बनाते हैं. इस परिसर से जेनेरेटर वाले भी बिजली चोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं.
मशीनें ठप, खाना बनाने के लिए बिजली ऑन
ऐसे होती है बिजली चोरी : अस्पताल परिसर में डाक्टरों और कर्मियों का सरकारी आवास है. अधिकांश कर्मियों ने बिजली लाइन या मीटर अभी तक नहीं लगाया है. इन सभी कर्मियों के आवास का भोजन, फ्रीज, कपड़े धोने वाली मशीन, एसी, हीटर समेत अन्य महंगे घरेलू उपयोग होने वाले उपकरण डीएमसीएच की बिजली आपूर्ति पर निर्भर है.
मेस का खाना : कई छात्रावासों के मेस का भोजन बिजली पर ही बनता है. इन छात्रावासों में सैंकड़ों छात्र रहते हैं. मेस वाले नाम के लिए एक कोने में कोयला का ढेर रखे रहता है लेकिन हकीकत यह है कि छात्रों का खाना भी बिजली पर ही बनती है. किसी भी मेस वालों का गैस कनेक्शन नहीं है.
मीटर लगानेवाले को कर्मी ने खदेड़ा था : वर्ष 2009-10 में बिजली चोरी पर पाबंदी लगाने के लिए बिजली विभाग ने 350 मीटर की आपूर्ति की थी. गार्डों एवं पुलिस की सुरक्षा में कर्मी स्टाफ नर्स के क्वार्टस में बिजली लगाने पहुंचा था, इसी क्रम में अवैध कनेक्शन को काटने के दौरान कर्मियों ने डंडा लेकर विभागीय कर्मी पर दौड़ गये थे.
मशीन उपकरण ठप : डीएमसीएच में करोड़ों रुपये की मशीन खरीदी जाती है लेकिन अधिकांश मशीन उपकरण बंद पड़े हैं. इस हालात में बिजली की खपत किस मद में अधिक होती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
अधिकांश के पास मीटर नहीं
हरेक कर्मियों को अपना-अपना बिजली मीटर लगाना है. कर्मियों को आवास आवंटन के वक्त ही बिजली बिल का भुगतान स्वयं करना है. अधिकांश कर्मियों के पास अपना बिजली मीटर नहीं है.
डॉ एसके मिश्रा, अस्पताल अधीक्षक
वैकल्पिक व्यवस्था:
बिजली आपूर्ति ठप होने पर इसके लिए यहां वार्डों में बड़े-बड़े जेनेरेटर लगे हैं. गायनिक वार्ड में सौर उर्जा की व्यवस्था है. इसके साथ बैट्रा और इनवर्टर अलग है.
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