दरभंगा : एचआइवी टेस्ट पॉजिटिव आने पर डीएमसीएच में भरती एक महिला मरीज को भगा दिया गया. सर्जरी वार्ड में भरती मरीज का ऑपरेशन इसलिए नहीं हो पाया कि वह एचआइवी से पीड़ित है. मरीज की जबरन वार्ड से छुट्टी कर दी गयी. मरीज ने फिर भी बेड नहीं छोड़ा, तो उसे जबरन वार्ड से बाहर कर दिया गया. मरीज के साथ उसके परिजन भी अस्पताल में दो रात बिताये,
लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. अंत में मरीज ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास शिकायत दर्ज करायी. इसके बाद परिजनों के साथ घर लौट गयी. ऑपरेशन नहीं होने से वह जीवन-मौत से जूझ रही है. बिरौल प्रखंड की एचआइवी पीड़िता गॉल ब्लाडर के
जांच में अाया पॉजिटिव
ऑपरेशन के लिए सर्जरी वार्ड में 24 सितंबर को भरती हुई थी. 26 सितंबर तक उसका इलाज चला. ऑपरेशन की बारी आयी, तो मरीज की एचआइवी जांच करायी गयी. जांच रिपोर्ट पॉजीटिव आयी. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को डिस्चार्ज स्लिप थमा दी.
जबरन भगाया वार्ड से
मरीज के परिजनों ने ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों से लेकर डीएमसीएच प्रशासन तक से गुहार लगायी, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी. डिस्चार्ज स्लिप के बाद भी मरीज बेड पर ही पड़ा रहा. डॉक्टरों ने परिजनों के साथ मरीज को जबरन निकला बाहर कर दिया. एआरटी प्रभारी सह मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ बीके सिंह ने 29 सितंबर को एक सर्जन को मरीज के ऑपरेशन करने की सलाह दी थी. सीएससी काउंसलर विजय कुमार ने भी सर्जन डॉक्टरों से मरीज के ऑपरेशन करने का आग्रह किया था. दोनों में से किसी की नहीं सुनी गयी.
क्या है नियम
सुप्रीम कोर्ट एवं सरकार ने एचआइवी मरीजों के इलाज में कोताही होने पर संबंधित डॉक्टर को तलब किये जाने का आदेश जारी कर रखा है.
डॉक्टरों ने नहीं किया मरीज का ऑपरेशन
24 सितंबर को सर्जरी वार्ड में भरती हुई थी महिला
गॉल ब्लॉडर का होना था ऑपरेशन
जांच रिपोर्ट आते ही कर दिया डिस्चार्ज
लोक शिकायत में दर्ज हुआ मामला
कोई मदद नहीं मिलने से मरीज परिजन के साथ लोक शिकायत निवारण कार्यालय पहुंची. 30 सितंबर को वहां मामला दर्ज कराया. मामले की सुनवाई 17 अक्तूबर को तय है. सीएससी के काउंसलर विजय कुमार मंडल ने बताया कि इस लोक शिकायत निवारण
कार्यालय के निर्णय के बाद हाइकोर्ट में केस फाइल किया जायेगा.
एचआइवी मरीजों के ऑपरेशन या डिलेवरी के लिए यहां अलग से विशेष व्यवस्था है. मांग करने पर जरूरी उपचार सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी.
डॉ एसके मिश्रा, अधीक्षक डीएमसीएच