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रोड डिवाइडर बन रहा गाड़ियों की कब्रगाह

पहल की जरूरत. शहर में बने डिवाइडर से टकरा कर रोज पलट रहे वाहन दरभंगा : नगर में यातायात व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए चौक-चौराहे पर जिला प्रशासन ने रोड डिवाइडर का निर्माण कराया था. उस समय इसे यातायात की बेहतरी एवं सुरक्षा का अचूक अस्त्र बताया गया. कुछ दिन बाद ही यह विश्वास […]

पहल की जरूरत. शहर में बने डिवाइडर से टकरा कर रोज पलट रहे वाहन

दरभंगा : नगर में यातायात व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए चौक-चौराहे पर जिला प्रशासन ने रोड डिवाइडर का निर्माण कराया था. उस समय इसे यातायात की बेहतरी एवं सुरक्षा का अचूक अस्त्र बताया गया. कुछ दिन बाद ही यह विश्वास टूट गया. जाम की व्यवस्था में कोई विशेष अंतर तो नहीं आया, हां दुर्घटनाग्रस्त होने वाली गाड़ियों की संख्या जरूर बढ़ गयी. लगभग हर सप्ताह नगर के किसी न किसी डिवाइडर से एक न एक गाड़ियों के टकराने का सिलसिला लगातार जारी है. मानक के अनुसार डिवाईडर का रखरखाव नहीं करना इसका प्रमुख वजह बताया जा रहा है.
साथ ही रोड की कम चौड़ाई भी एक बड़ा कारण माना जाता है. मंगलवार की देर रात बेला मोड़ तिराहे पर एक मिल्क वैन डिवाईडर से टकराकर पलट गयी. एक सप्ताह पूर्व इसी जगह एक बोलेरो दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. मिल्क वैन को हटाने में करीब तीन घंटा समय लगा. इस दौरान वीआईपी रोड की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. सुबह का समय होने के कारण दर्जनों स्कूल बस जाम में फंसा रही. दो एंबुलेंस भी करीब आधा घंटा तक रास्ता की तलाश करती रही. यातायात पुलिस मूकदर्शक बनी रही. जाम स्थल पर एक पुलिस की गाड़ी पहुंची लेकिन अपना रास्ता बना अन्य गाड़ियों को उसी हाल में छोड़ चलती बनी. करीब तीन घंटा बाद जब किरान से पलटी गाड़ी को हटाया गया तब जाकर यातायात व्यवस्था सुचारू हो सकी.
आठ जगहों पर डिवाइडर
नगर में आठ जगहों पर रोड डिवाइडर बनाया गया है. बाघ घर मोड़, बेला मोड़, दोनार, अल्लपट्टी, कर्पूरी चौक, लहेरियासराय टावर, लोहिया चौक तथा दरभंगा टावर पर रोड डिवाइडर बना है. इन जगहों पर ट्रैफिक का काफी दबाव रहता है. डिवाइडर बनने से व्यवस्था में कुछ सुधार जरूर हुई है. लेकिन, अलग तरीके की परेशानी भी बढ़ी है.
मानक के अनुसार नहीं
नगर में बनाये गये रोड डिवाईडर का रखरखाव मानक के अनुसार नहीं किया जा रहा है. दुर्घटना का यह सबसे बड़ा कारण है. नियमत: डिवाइडर के प्रारंभ वाले भाग में रेडियम का लेप लगा होना चाहिए. इससे गाड़ी चालकों को दूर से ही डिवाइडर की जानकारी मिल जाती है, और वे सतर्क हो जाते हैं. नगर के किसी डिवाइडर में रेडियम का लेप नहीं लगा है. निर्माण के समय इसे लगाया गया था, लेकिन गाड़ियों के घर्षण से रेडियम उड़ चुका है. तेज गति से जा रहे चालक एकाएक सामने डिवाइडर देख संतुलन कायम नहीं रख पाते और गाड़ी ठोकर लगने से पलट जाती है.
रोड का कम फैलाव कारण
कई जगहों पर डिवाइडर बना तो दिया गया है लेकिन वहां दोनों तरफ की सड़कें इससे सिकुड़ गयी है. विशेषकर बाघ घर मोड़, बेला मोड़, अल्लपट्टी, दरभंगा टावर आदि जगहों पर एक गाड़ी भी मुश्किल से गुजर पाती है. डिवाईडर का संकेतक स्पष्ट नहीं होने तथा सड़क की चौडाई कम होने के कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
विभाग संवेदनशील नहीं
लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद संबंधित विभाग इस कमी को दूर करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. कई संगठनों ने जिला प्रशासन समेत निगम प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया है. बावजूद अबतक इसे ठीक नहीं किया गया है. लगातार ठोकर लगने से कई डिवाईडर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.
अनदेखी : मानक का अनुपालन नहीं कर रहा डिवाइडर, दुर्घटना के पीछे िवभागीय उदासीनता भी कम नहीं
तेज गति से चलनेवाले वाहन होते दुर्घटनाग्रस्त
अमूमन यह देखा गया है कि चौराहे एवं तिराहे पर भी तेज गति से वाहन चलाये जाने के कारण डिवाईडर से टकराकर गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त होती हैं. गति तेज रहने के कारण चालक जबतक संभले-संभले तबतक गाड़ियां डिवाईडर से टकरा चुकी होती हैं.

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