दरभंगाः बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को भंग कर बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी बनाने के बाद उपभोक्ताओं में उम्मीद जगी थी कि उनलोगों को बेहतर सेवा मुहैया करायी जायेगी. लोगों को लगा था कि करीब 50 वर्ष पूर्व दरभंगा लहेरियासराय इलेक्ट्रिक सप्लाइ कॉरपोरेशन से जिस तरह की सुविधा निजीकरण से मिलेगी, यानी ट्रांसफॉर्मर से फ्यूज उड़ने या तार टूटने की शिकायत मिलने पर दो घंटा के भीतर उसे ठीक करना, नियमित मीटर रिडिंग के बाद बिल आदि था. पावर होल्डिंग कंपनी के विगत 14 महीनों की कार्यावधि को देखने के बाद अधिकांश उपभोक्ताओं का मानना है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों की सक्रियता से विगत छह महीने में राजस्व में ढाइ गुणा से अधिक वृद्धि हो गयी, पर इस अनुपात में उपभोक्ताओं की सुविधा सिमटती जा रही है.
राजस्व वृद्धि में मीटर का योगदान!
इलेक्ट्रॉनिक मीटर के फास्ट चलने की शिकायत
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के राजस्व में बेतहाशा वृद्धि में इलेक्ट्रॉनिक मीटर का भी अहम योगदान है. वैसे गत तीन महीने से विद्युत आपूर्ति में सुधार होने के बाद शहर में 16 से 18 घंटे बिजली मिलती है, लेकिन इस अनुपात में जो विपत्र आ रहा है वह चौंकाने वाला है. एक उपभोक्ता ने बताया कि एक किलोवाट के लोड पर दो महीने का विपत्र उन्हें 16,733 रुपये का भेज दिया है, जबकि इससे पूर्व लगातार उसे 400 से 500 का बिल प्रत्येक महीना आता था. इलेक्ट्रॉनिक मीटर की चर्चा करते हुए नाम नहीं छापने की शर्त पर एक विद्युत अभियंता ने बताया कि 7 दिनों के लिए अवकाश पर जाने से पूर्व वे मीटर रीडिंग लेकर टेबुल छोड़ दिया था. सात दिनों तक पूरा घर बंद था. वहां से लौटने पर कमरा खोलने के बाद सबसे पहले मीटर रीडिंग लिया तो सात दिनों में 17 यूनिट बिजली कंज्यूम की जानकारी मीटर दे रहा था.
आखिर जब मकान पूरी तरह बंद था तो मीटर में 17 यूनिट कैसे बढ़ा. सामान्यतया घरेलू व व्यावसायिक कनेक्शनों के उपभोक्ता इसकी चर्चा करते हैं. कई लोगों ने तो फीस जमा कर जब एमआरटी में मीटरों की जांच करायी तो सामान्य से अधिक गति उन मीटरों में मिला. वैसे मीटरों के बदले नये मीटर लगाये गये.