दरभंगा : पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ प्रकृति पर्व जूड़शीतल गुरुवार को परंपरानुरूप मनाया गया. मिथिला में लोगों ने इस अवसर पर बासी भात प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया. वहीं बड़े-बुजुर्गों ने अपने से छोटों के सिर पर शीतल जल रख कर सालों पर जुड़ायल रहने का आशीष दिया. गुरूवार की अहले सुबह लोगों की नींद सिर पर पड़े शीतल जल से खुली. बड़े-बुजुर्गों ने छोटों के सिर को पानी से सिक्त करते हुए ‘जुड़ायल रहू’का आशीर्वाद दिया. इस मौके पर लोगों ने परंपरानुरूप जहां पेड़-पौधों में पानी पटाकर इसे बचाये रखने का मन ही मन संकल्प लिया, वहीं सड़कों पर भी पानी पटाया.
उल्लेखनीय है कि मिथिला में इस पर्व पर रात में बने भात को पानी में रख दिया जाता है. सुबह दही मिलाकर प्रसाद स्वरूप इसे भगवान को अर्पित किया गया. इसके बाद सभी ने भोजन ग्रहण करने से पूर्व प्रसाद रूप में इस जुड़हड़ को ग्रहण किया. घर के दरवाजे के साथ ही चूल्हे तक पर इसे अर्पित किया गया. सनद रहे कि इस दो दिनी त्यौहर के पहले दिन जहंा जल से भरे घड़े के दान की परंपरा है, वहीं दूसरे दिन जुड़शीतल मनाया जाता है. परंपरानुरूप ग्रामीण क्षेत्र में लोगों ने जमकर कीचड़-मिट्टी से खेल किया. एक-दूसरे के शरीर पर जमकर कीचड़ लगा मस्ती की. वहीं कई गांवों में मौके पर कुश्ती का भी आयोजन हुआ.