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13 वर्षों में आठ अधिकारियों ने किया 2.15 करोड़ का गबन

13 वर्षों में आठ अधिकारियों ने किया 2.15 करोड़ का गबन परिवहन सचिव के आदेश पर पूर्व के आठ अधिकारियों पर विवि थाना में प्राथमिकी दरभंगा : बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के दो पूर्व प्रमंडलीय प्रबंधक, दो पूर्व प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी एवं चार पूर्व डिपो अधीक्षक की मिलीभगत से वर्ष 1992 से 96 तथा […]

13 वर्षों में आठ अधिकारियों ने किया 2.15 करोड़ का गबन परिवहन सचिव के आदेश पर पूर्व के आठ अधिकारियों पर विवि थाना में प्राथमिकी दरभंगा : बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के दो पूर्व प्रमंडलीय प्रबंधक, दो पूर्व प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी एवं चार पूर्व डिपो अधीक्षक की मिलीभगत से वर्ष 1992 से 96 तथा 2004 से 2015 तक करीब 2.15 करोड़ के राजस्व का गबन किया गया. आंतरिक अंकेक्षण रिपोर्ट से मामला प्रकाश में आने पर बिहार राज्य परिवहन विभाग के प्रधान सचिव सह प्रशासक सुजाता चतुर्वेदी के निर्देश पर प्रशासक राम कुमार मिश्र ने पत्रांक 853 दिनांक 2 अप्रैल को आंतरिक अंकेक्षण के 57 पृष्ठों की छायाप्रति संलग्न करते हुए प्रमंडलीय प्रबंधक को प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया. इसी आलोक में प्रमंडलीय प्रबंधक ने विश्वविद्यालय थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. जिन लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई है, उनमें पूर्व प्रतिष्ठान अधीक्षक राजनंदन प्रसाद, पूर्व प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी कौशलेंद्र किशोर राय, पूर्व प्रमंडलीय प्रबंधक बीके राय, रामप्रसाद महतो, पूर्व प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी रामचंद्र चौधरी, शंभु नाथ झा, पूर्व प्रतिनियुक्त अधीक्षक हृदय नारायण मिश्र एवं राजनाथ चौधरी हैं. आंतरिक अंकेक्षण टीम ने अपनी रिपोर्ट में 1 अक्टूबर 1992 से 30 सितंबर 96 तथा 1 जनवरी 2004 से 17 अक्टूबर 2015 तक 2.15 करोड़ राशि गबन करने में उपरोक्त अधिकारियों की संलिप्तता की चर्चा की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि राशि गबन इन अभियुक्तों ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत किया. अंकेक्षण दल ने पूर्व रोकड़पाल कौशल किशोर राय पर वेतन विपत्र मद में 1 करोड़ 25 लाख 32 हजार 325 रुपये खर्च दिखाया है लेकिन विपत्र संबंधी कोई कागजात जांच टीम के समक्ष वे प्रस्तुत नहीं कर सके. श्री राय ने प्रभार देने के समय दैनिक रूप में जमा 99 लाख 27 हजार 802 रुपये के स्थान पर मात्र 8 हजार 902 रुपये का प्रभार अरूणजय प्रसाद को दिया. मधुबनी प्रतिष्ठान के 8.96 लाख की राशि को तत्कालीन प्रमंडलीय प्रबंधक रामप्रसाद महतो ने दरभंगा प्रतिष्ठान के नाम पर व्यय कर दिया. इससे पूर्व भी मधुबनी प्रतिष्ठान के 4.37 लाख रुपये को दरभंगा डिपो के नाम पर ही खर्च कर दिया गया है. शंभुनाथ झा एवं हृदयनाथ मिश्र ने 54 हजार 154 रुपये की राशि खर्च दिखा दिया लेकिन इस संबंध में कोई भी व्यय विवरणी प्रस्तुत नहीं कर सके. अंकेक्षण टीम ने जांच के क्रम में रोकड़ बही में जुलाई 2006 के अंत में 2 लाख 14 हजार 949 रुपये भी कम पाया. इसी तरह डीजल की खरीददारी के नाम पर भी 68 लाख रुपये खर्च कर दिये गये. इतना ही नहीं, बसों के नीलाम तथा टैक्स मद की 7.27 लाख रुपये का भी विचलन कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार इन 13 वर्षों में निगम ने 54 बसें चलायी लेकिन इन आठ अधिकारियों की गलत मंशा के कारण परिवहन निगम लगातार घाटे में रहा. इन आठ अधिकारियों पर जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है, उसमें प्राथमिकी संबंधी आवेदन के साथ-साथ 57 पृष्ठों का आंतरिक अंकेक्षण टीम की रिपोर्ट की छायाप्रति भी संलग्न किया गया है. बॉक्स :::::::::::::::26 बसों से एक माह में चार लाख की बचत दरभंगा : राज्य सरकार ने दरभंगा डिपो को जो 26 नयी बसें गत 24 फरवरी को उपलब्ध कराया, उसके परिचालन से 31 मार्च तक 4 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. दरभंगा डिपो से इन बसों पर कार्यरत सभी कर्मियों को नियमित वेतन, डीजल मोबिल पर खर्च की गयी राशि का भुगतान कर शुद्ध बचत के रूप में चार लाख की बचत हुई है. जानकारी के अनुसार प्राइवेट ऑपरेटर से 20 फीसदी कम भाड़ा पर जनसेवा के तहत बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बसें चलती हैं. इस बाबत पूछे जाने पर परिवहन निगम के प्रमंडलीय प्रबंधक शरणानंद झा ने बताया कि 4 मार्च 2014 से दरभंगा डिपो लगातार लाभ में चल रहा है. निकट भविष्य में विभाग से कुछ और नई बसें मिलने की संभावना है, जिसे नई रूटों पर चलाया जायेगा.

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