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सिमरी हाई स्कूल : दर्जा प्लस टू का, संसाधन शून्य

सिमरी हाई स्कूल : दर्जा प्लस टू का, संसाधन शून्यफोटो. परिचय : उच्च विद्यालय सिमरी पांच साल बाद भी नहीं शुरु हो सकी इंटर की पढाई संसाधन की कमी का रोना रो रहा विद्यालय सिंहवाड़ा. उच्च विद्यालय सिमरी कहने के लिए +2 विद्यालय का दर्जा प्राप्त है पर संसाधन के मामले में शून्य है. इस […]

सिमरी हाई स्कूल : दर्जा प्लस टू का, संसाधन शून्यफोटो. परिचय : उच्च विद्यालय सिमरी पांच साल बाद भी नहीं शुरु हो सकी इंटर की पढाई संसाधन की कमी का रोना रो रहा विद्यालय सिंहवाड़ा. उच्च विद्यालय सिमरी कहने के लिए +2 विद्यालय का दर्जा प्राप्त है पर संसाधन के मामले में शून्य है. इस विद्यालय को + 2 का दर्जा वर्ष 2010 में प्राप्त हुआ था. इसके लिए वर्ष 2014 में शिक्षकों की बहाली भी हुई. आठ शिक्षक विद्यालय में योगदान भी किया.लेकिन आज तक एक भी नामांकन +2 में नहीं हुआ. यहां पदस्थापित शिक्षक उच्च विद्यालय के छात्रों को ही पढ़ाते है. इस विद्यालय में नियमित एवं पूर्ववर्ती छात्रों को मिलाकर करीब एक हजार विद्यार्थी सेन्टअप है. एक शिक्षक ने बताया कि टेस्ट परीक्षा के बाद सेन्टअप विद्यार्थी विद्यालय नहीं आ रहे है. अतिरिक्त वर्ग कक्ष चलाने के बारे में जब प्रधानाचार्य नुरूल इस्लाम से पूछा तो उन्हांेने बताया कि अतिरिक्त वर्ग चलाने के लिए सूचना चिपका दी गयी है. बच्चों द्वारा इसकी सूचना अपने आस-परोस के बच्चों को देने को कहा गया है. जबकि मैट्रीक परीक्षा का मात्र डेढ़ महीना बचा है. विद्यालय में भूगोल के एक भी शिक्षक नहीं है. वहीं गणित के दो एवं संस्कृत में मात्र एक शिक्षक हैं, जिससे विद्यार्थियों की पढाई एवं तैयारी का सहज अनुमान लगाया जा सकता है.अब इतने कम समय में बच्चे अपने परीक्षा की तैयारी कहां और कैसे कर रहे है. इसके लिए दोषी कौन. शिक्षक या शिक्षार्थी. एक महिला शिक्षिका ने बताया कि सेन्टअप विद्यार्थी टेस्ट परीक्षा देने के बाद स्कूल नहीं आने की मानसिकता बन गयी है. हमलोग बच्चों को कुछ देना चाहती हूं लेकिन बच्चे कोचिंग में तैयारी करने की बात कहकर विद्यालय नहीं आते है. गरीब परिवार के विद्यार्थी कोचिंग फीस देने में असमर्थ है. उनकी तैयारी कैसे होगी. प्रधानाध्यापक कहते है कि नीचे वर्ग के बच्चों के लिए न तो भवन है और न ही उपस्कर. फिर हम +2 में नामांकन कैसे लें. विद्यालय की सबसे गंभीर समस्या चहार दीवारी एवं शौचालय की है. चहार दीवारी नहीं होने के कारण हम बच्चों को नियंत्रण नहीं कर पाते है. इसके अभाव में कुछ अप्रिय घटनाओं को लेकर भी हमलोग सशंकित रहते हैं.कुछ असामाजिक तत्व विद्यालय के ईद गिर्द मंडराते रहते है. इसको लेकर कई बार स्थानिय पुलिस को बुलाना पड़ा है. विद्यालय भवन निर्माण को लेकर 39 लाख 50 हजार की राशि शिक्षा विभाग से मिला था. लेकिन प्रधानाध्यापक एवं प्रबंध समिति के अध्यक्ष के बीच खींचातानी को लेकर इतनी बड़ी राशि को लौटाना पड़ा. जिसका खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं.

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