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संचिकाओें में सिमटा शताब्दी निजी नलकूप

संचिकाओें में सिमटा शताब्दी निजी नलकूप फसल सूखते देख सरकार को कोस रहे किसानफोटो-22परिचय- दशकों से खराब पड़े नलकूप.बेनीपुर. बेनीपुर में सरकारी संचिकाओं तक ही सिमट कर रह गयी है शताब्दी निजी नलकूप योजना. ज्ञात हो कि महीनों पूर्व किसानों को अनुदान पर निजी नलकूप उपलब्ध कराने की घोषणा की गई. विज्ञापन भी प्रकाशित किया […]

संचिकाओें में सिमटा शताब्दी निजी नलकूप फसल सूखते देख सरकार को कोस रहे किसानफोटो-22परिचय- दशकों से खराब पड़े नलकूप.बेनीपुर. बेनीपुर में सरकारी संचिकाओं तक ही सिमट कर रह गयी है शताब्दी निजी नलकूप योजना. ज्ञात हो कि महीनों पूर्व किसानों को अनुदान पर निजी नलकूप उपलब्ध कराने की घोषणा की गई. विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया. क्षेत्र के सभी सरकारी नलकूप दशकों से बंद देख किसानों में अपना बोरिंग होने की आस जगी और सैकड़ों किसानों ने इसके लिए आवेदन किये. महीनों बीत गये. किसान सलाहकारों से लेकर बीएओ, बीडीओ का दरबार खटखटा कर थक हार कर घर बैठ गये. अधिकारिक स्तर पर इसके प्रति कोई खास अभिरुचि नहीं दिख रही है. किसान रामफल झा, रामरसिक ठाकुर, अघनू यादव, रामचंद्र झा, गंगा यादव आदि कहते हैं कि गेहूं की पटवन के लिए बोरिंग के लिए आवेदन दिया है. यदि अपना बोरिंग हो जायेगा तो दशकों से बंद पड़े सरकारी नलकूपों के ठीक होने की बाट नहीं जोहना पड़ेगा, साथ ही दूसरी पटवन के लिए आश्रित नहीं रहना पड़ेगा. तीन माह से आवेदन करने के बाद प्रखंड का चक्कर लगा रहे हैं. कोई कुछ कहने तक को तैयार नहीं हैं. इतना ही नहीं उसी नलकूप के आस में गेहूं की खेती भी अधिक कर लिये, जो अब पानी के बगैर बर्बाद हो रहा है. किसान पवन कुमार झा कहते हैं कि सरकारी योजना पर हम किसानों को विश्वास ही नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिकांश सरकारी योजनाओं से किसानों को ठगा ही जा रहा है. नलकूप के लिए जहां किसान आवेदन कर भटक रहे हैं. डीजल अनुदान का भी यही हाल है. इतना ही नहीं 2020 रुपये लेकर जीरो टिलेज योजना के तहत मिले गेहूं बीज की राशि आजतक वापस किसानों के खाते में नहीं दिया जा सका है. अन्य योजना की बात तो दूर अधिकारियों की उदासीनता के कारण किसान अपने रुपये वापस लेने को दर दर भटक रहें हैं. इस संबंध में पूछने पर बीएओ अशोक कुमार ने कहा कि नलकूप के लिए 300 आवेदन प्राप्त हुए हैं. स्वीकृति की प्रक्रिया जारी है. वैसे आवेदन देनेवाले किसानों को अपना बोरिंग गरबा लेने को कहा गया है. बोरिंग गड़ाने के बाद ही किसानों के खाते में अनुदान की राशि दिये जाने का प्रावधान हे. जीरो टिलेज की राशि की सूची जिला को भेजा जा रहा है. जिला से ही सभी किसानों के खातों में दिया जायेगा.

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