सुरूज हो आई कियै भेल एती बेर पारंपरिक छठ गीत से प्रवाहित होती रही भक्ति रसधार फोटो-लगा देंगे दरभंगा . मिथिला की समृद्धि लोक गायन परंपरा की झलक छठ घाटों पर मिली. महिलाओं की टोली ने जब छठ मईया के गीत गाने शुरू किये तो वातावरण में भक्ति की रसधार स्वत: प्रवाहित हो उठी. अलग-अलग टोली बनाकर महिला भगवान भाष्कर को प्रसन्न करने के लिए गीत गाती रही. कहीं बेटी की मांग गीत के माध्यम से की तो कभी जल्द दर्शन देकर इस कठिन अनुष्ठान को संपन्न करने की गुहार लगाती नजर आयी. प्रात:कालीन अर्घ से पूर्व ‘सुरूज हो आई कियै भेल एती बेर, उग हौ सुरूज भेज अरघक बेर, दरशन दिय हे दीनानाथ’ सरीखे गीत के बोल अनुगूंजित होते रहे. वहीं ‘केरबा जे फरई घउद से ताहि पर सुगा मरराय, कांचहि बांस के बहंगिया सरीखे परंपरागत गीत के स्वर भी कान में मिठास घोलते रहे. उल्लेखनीय है कि समृद्धि सांस्कृतिक परंपरा की धनी मिथिला में प्राय: सभी व्रत-त्योहार के लिए गायन की परंपरा है. हालांकि नयी पीढ़ी इस परंपरा से कटती जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाके में इस नजरिये से स्थिति चिंताजनक नहीं है. पढ़ने-पढ़ाने वाली लड़की व महिलाएं भी उत्साह के साथ इस परंपरा में शामिल हो रही हैं. इसकी झलक छठ घाटों पर मिली.
BREAKING NEWS
सुरूज हो आई कियै भेल एती बेर
सुरूज हो आई कियै भेल एती बेर पारंपरिक छठ गीत से प्रवाहित होती रही भक्ति रसधार फोटो-लगा देंगे दरभंगा . मिथिला की समृद्धि लोक गायन परंपरा की झलक छठ घाटों पर मिली. महिलाओं की टोली ने जब छठ मईया के गीत गाने शुरू किये तो वातावरण में भक्ति की रसधार स्वत: प्रवाहित हो उठी. अलग-अलग […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement