85 बीघे के रजोखर, 50 बीघा के बहुरी व महथा पोखर में होता है छठ फोटो:::::परिचय : महथा पोखर पर बना सूर्य मंदिर एवं छठ घाट बनाते लोग.कमतौल. क्षेत्र के ब्रह्मपुर पश्चिमी पंचायत स्थित 85 बीघा में फैले रजोखर पोखर, अहियारी दक्षिणी पंचायत के 20 बीघा के महथा पोखर और 20 बीघा से भी ज्यादा रकबा में फैले कमतौल के बहुरी पोखर में सैकड़ों छठ व्रती 84 लाख योनियों से मुक्ति की कामना के साथ प्रति वर्ष अस्ताचल और उदीयमान सूर्य को अर्घ प्रदान करने आते है. वैसे तो प्रत्येक गांव के तालाब स्थित छठ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ होती है, परंतु इस छठ घाट पर हर वर्ष सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ती है. जानकारों की मानें तो रतनपुर और ब्रह्मपुर के अधिकांश परिवार के लोग रजोखर तालाब के किनारे ही छठी मैया की पूजा अर्चना को लेकर आते हैं. जिससे वहां दो दिनों तक मेला का नजारा देखने को मिलता है. वहीं अहियारी दक्षिणी के महथा पोखर में होने वाली छठ पूजा का दृश्य मनोहारी होता है. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के बाद उदीयमान अर्घ देकर ही घर वापस आते हैं. छठ पूजा समिति के अध्यक्ष रामदहीन यादव की मानें तो महथा पोखर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ता है. यहां सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया गया है. यहां सात घोड़ा पर सवार सूर्य एवं कई देवी-देवताओं की पूजा होने से माहौल भक्तिमय बना रहता है. लोग रात भर सांस्कृतिक कार्यक्रम में गोते लगाते नहीं थकते हैं. वहीं कमतौल के बहुरी पोखर में सभी वर्ग के लोग छठ मनाते हैं. सभी स्थानों पर छठ पूजा का दृश्य मनोहर होता है.
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85 बीघे के रजोखर, 50 बीघा के बहुरी व महथा पोखर में होता है छठ
85 बीघे के रजोखर, 50 बीघा के बहुरी व महथा पोखर में होता है छठ फोटो:::::परिचय : महथा पोखर पर बना सूर्य मंदिर एवं छठ घाट बनाते लोग.कमतौल. क्षेत्र के ब्रह्मपुर पश्चिमी पंचायत स्थित 85 बीघा में फैले रजोखर पोखर, अहियारी दक्षिणी पंचायत के 20 बीघा के महथा पोखर और 20 बीघा से भी ज्यादा […]
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