कचरे के ढेर पर ही मनेगी दीपावली अबतक सफाई में नहीं दिख रही गति फोटो संख्या- 09परिचय- इंदिरा गांधी चौक पर लगा कचरे का ढेर. दरभंगा : दीपावली में अब पांच दिन ही शेष रह गये हैं. लेकिन उस मुतल्लिक शहर में न तो सफाई दिख रही, न ही कूड़ा उठाव. मुख्य सड़कों के किनारे कचरे का ढेर यह दर्शाता है कि यदि यही स्थिति रही तो शहरवासियों को इसी ढेर पर ही सफाई व प्रकाश का पर्व दीपावली मनाना पड़ेगा. नगर निगम के सटे नगर भवन के उत्तरी भाग में सड़क पर ही कचरा का डंपिंग प्लेस बना दिये जाने से सड़क तो अवरुद्ध हुआ ही है, उस कचरा से आसपास का वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. विगत दो दिनों से वहां कचरा फैला है. लेकिन सबकुछ देखते हुए भी निगम प्रशासन मौन है. वार्डों की सफाई व्यवस्था वार्ड के मजदूरों के हवाले छोड़ दिया गया है. स्थानीय पार्षदों की सक्रियता से वार्डों में जैसे-तैसे सफाई के बाद तीसरे दिन कचरों के ढेर का उठाव हो रहा है. सबसे बदतर स्थिति प्रधान मुख्य सड़क एवं मुख्य सड़कों की है. कोई भी पार्षद अपने वार्ड की गलियों को ही अपना वार्ड मानते हैं. ऐसी स्थिति में दो वार्डों के बीच की प्रधान सड़क एवं मुख्य सड़क नो मेंसलैंड की स्थिति में दिखने लगा है. प्रतिदिन की कौन कहे, सप्ताह में एक दिन भी न तो उसपर झाड़ू लगता है न ही नियमित कचरा का उठाव. कहने को नगर निगम प्रशासन दोनों पालियों में सफाई एवं कूड़ा उठाव का दावा कर रहा है, लेकिन निगम प्रशासन की जो सफाई क्षमता है उसके अनुकूल शहर की सड़कों पर सफाई नहीं दिख रही है. इस बाबत पूछे जाने पर नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि दोनों पाली में सफाई एवं कूड़ा उठाव किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मतदान के कारण विगत तीन दिनों से सफाई कार्य की गति थोड़ी धीमी हो गयी थी. शुक्रवार से पुन: इसमें गति आ गयी है. उन्होंने बताया कि 9 नवंबर तक सभी सफाई कर्मियों को पूरे शहर को चकाचक करने का टास्क दिया गया है. इसके बाद सभी सड़कों पर चूना-ब्लीचिंग का छिड़काव भी कराया जायेगा. बॉक्स :::::::::::::4200 मजदूरों से होगी शहर के छठ घाटों की सफाई बड़े तालाबों की सफाई का काम शुरू फोटो संख्या- 10परिचय- कचरा व जलकुंभी से पटा राजकुमारगंज का तालाब दरभंगा : छठ पर्व के मौके पर शहर के तालाबों एवं नदी घाटों की सफाई के लिए 4200 सफाई मजदूरों की स्वीकृति दी गयी है. प्राइवेट मजदूरों से मिर्जा खां तालाब, गंगासागर एवं केएम टैंक में सफाई कार्य विगत दो दिनों से चल रहा है. सबसे बदतर स्थिति बागमती नदी के घाटों की है. पानी की कमी के कारण नदी की धारा सिमट गयी है. ऐसी स्थिति में घाट निर्माण करने में निगम प्रशासन से लेकर श्रद्धालुओं को भारी मुसीबत झेलनी होगी. सबसे बदतर स्थिति हराही, गंगासागर एवं दिग्घी तालाब की है. इन तालाबों का पानी प्रदूषित होने से व्रती कैसे उसमें स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे. प्रत्येक वर्ष निगम प्रशासन इन तालाबों में जमा कदली को समाप्त करने के लिए चूना का छिड़काव करते हैं लेकिन छठ पर्व के बाद उसके पानी को कैसे शुद्ध किया जाये, इसकी चिंता न तो निगम प्रशासन को रहती है और न ही जिला प्रशासन को. जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के निर्देश पर हराही, दिग्घी, गंगासागर एवं मिर्जा खां जैसे बड़े तालाबों की बंदोबस्ती सदर एवं बहादुरपुर के अंचल प्रशासन के जिम्मे है. सैरात अधिनियम के अनुसार जो सैरात की बंदोबस्ती करते हैं, उन तालाबों के मेंटिनेंस की जिम्मेवारी भी उन्हीं की रहती है. लेकिन शहर के इन चारों तालाब में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा. साल में एक बार छठ पर्व के नाम पर निगम प्रशासन उसकी सफाई कर अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री मान लेते हैं. छठ पर्व के दो सप्ताह से भी कम समय रह गये हैं. अब देखना है कि निगम प्रशासन घाटों की सफाई में कितना सफल हो पाता है. इस बाबत पूछे जाने पर नगर आयुक्त ने बताया कि 16 नवंबर तक सभी तालाबों एवं नदी घाटों की सफाई कार्य पूरा करने को कहा गया है.
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कचरे के ढेर पर ही मनेगी दीपावली
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