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भक्तों का कल्याण करती हैं मां श्यामा माई

भक्तों का कल्याण करती हैं मां श्यामा माई विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन को आते हैं यहां चिताओं पर इतने मंदिरों की स्थापना अन्यत्र कहीं नहीं फोटो संख्या- 15परिचय- श्यामा मंदिर की तसवीर. दरभंगा. दरभंगा शहर के राज परिसर स्थित मां श्यामा माई का मंदिर जन आस्था का केंद्र बन गया है. भक्तों का कल्याण […]

भक्तों का कल्याण करती हैं मां श्यामा माई विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन को आते हैं यहां चिताओं पर इतने मंदिरों की स्थापना अन्यत्र कहीं नहीं फोटो संख्या- 15परिचय- श्यामा मंदिर की तसवीर. दरभंगा. दरभंगा शहर के राज परिसर स्थित मां श्यामा माई का मंदिर जन आस्था का केंद्र बन गया है. भक्तों का कल्याण करती हैं मां श्यामा माई. पड़ोसी देश नेपाल सहित अन्य देशों के हिंदू धर्मावलम्बी मां के दर्शन को जुटते हैं. वहीं चिताओं पर इतने मंदिरों की स्थापना भारत वर्ष में अन्यत्र कहीं नहीं पाया जाता है. यहां शिव एवं शक्ति की सम्यक उपासना होती है. खण्डवला राजवंश के सुप्रस्द्धि विद्वान एवं तांत्रिक महाराज रमेश्वर सिंह की चिता पर महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह के द्वारा 1933 में श्रद्धापूर्वक मंत्रोक्त विधि से मां श्यामा काली की अद्वितीय प्रतिमा की स्थापना की गयी. मंदिर में प्रवेश करते ही अद्वितीय शक्ति की अनुभूति होती है. मंदिर के गर्भगृह में श्यामा की विशाल प्रतिमा की दाहिनी ओर महाकाल एवं बांयी ओर बटुक तथा गणेश का विग्रह विराजमान है. मंदिर में प्रवेश के साथ ही ऊपर सूर्य एवं चंद्र सहित नवग्रह आदि का दर्शन होता है. उक्त भव्य एवं कल्याणकारी मूर्ति की स्थापना स्व पंडित सीताराम झा व्यास के निर्देशन में की गयी थी. सुयोग्य पुत्र स्व पं श्यामानंद झा आजीवन प्रधान पुजारी के रूप में पूजा-अर्चना करते रहे. वर्तमान में डॉ पंडित प्रेमानंद झा ने स्वयं को भगवती की आराधना में अपने को समर्पित कर दिया है. यह भव्य मंदिर जिस परिसर में मौजूद है, उसे माधवेश्वर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि परिसर के प्रवेश द्वार पर स्थित माधवेश्वर शिव की स्थापना महाराज माधवेश्वर सिंह के द्वारा की गयी. महाराज रूद्रेश्वर की चिता पर रूद्रेश्वरी काली, लक्ष्मीश्वर सिंह की चिता पर शिव मंदिर के साथ लक्ष्मीश्वरी तारा, रमेश्वरी सिंह की चिता पर रमेश्वरी श्यामा तथा कामेश्वर सिंह की चिता पर कामेश्वरी श्यामा का मंदिर है. वहीं श्यामा मंदिर के उत्तर महारानी की चिता पर अन्नपूर्णा मंदिर अवस्थित है. मंदिर परिसर में विश्व कल्याण के उद्देश्य से 1988 में ‘श्यामा नामधुन नवाह यज्ञ’ शुरू किया गया. अब यह 26 वर्षों से प्रत्येक वर्ष किया जाता है. इसमें नेपाल एवं समस्त मिथिलांचल सहित देश-विदेश के अन्य भागों से भक्तों की सहभागिता होती है. प्रत्येक वर्ष अगहन कृष्ण पंचमी से प्रारंभ होनेवाले इस यज्ञ में अहर्निश मां के नाम नामधुन के साथ-साथ हवन, देवी महात्म्य पाठ एवं नाम तथा मंत्रजाप आदि भक्तों के साथ अन्य लोगों को भी एक नयी ऊर्जा प्रदान करता है. 1 सितंबर 2007 से बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के द्वारा मंदिर को सार्वजनिक घोषित कर दिया गया. वहीं इसके संचालन व्यवस्था मां श्यामा मंदिर न्यास समिति के अधीन कर दिया गया है. उस समय से अद्यतन न्यास समिति की देखरेख में समस्त व्यवस्था संचालित हो रही है. न्यास समिति के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश सच्चिदानंद झा, सचिव वंदना किनी, सह सचिव प्रो श्रीपति त्रिपाठी, प्रबंधक डॉ चौधरी हेमचंद्र राय और अन्य न्यासियों के द्वारा संचालित की जा रही है. इतने महत्व के यह धार्मिक स्थल सरकार की नजरों से अबतक ओझल रहा है. बिहार राज्य पर्यटन विभाग द्वारा सौंदर्यीकरण का कार्य फरवरी 2014 से प्रांरभ हुआ. वर्तमान में कार्य बंद है. इसे लेकर जनमानस में क्षोभ व्याप्त है. प्रबंधक हेमचंद्र राय ने बताया कि नौ मंदिरों के समूह में श्यामा मंदिर का अधिग्रहण किया गया. जिसमें 40 हेक्टेयर भूमि का ज्रिक है जो अभी तक न्यास को प्राप्त नहीं हुआ है.

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