मधुबनी : महाशक्ति नवदुर्गा पूजा समिति, गांधी बाजार की अोर से 62वां पूजनोत्सव श्रद्धा व भक्ति पूर्वक मनाया जा रहा है. 1954 में स्थापित इस समिति के द्वारा वैष्ठवी पद्धति से माता दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. माता की प्रतिमा इस विलक्षण रूप में बनायी जाती है कि जैसा मानो कि माता साक्षात भक्तों के बीच विराजमान हो गयी हैं.
लगभग एक बीघा में फैले इस परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है. 2009 में पूर्ण से संगमरमर के टाइल्स से सुसज्जित इस मंदिर में भक्ति पूर्ण माहौल में पूजा-अर्चना होती है. पूजा समिति के सचिव सीताराम चौधरी जब बीते दिनों की याद करते हैं तो उनके आंख भर आती है. उ
न्होंने बताया कि एक छोटे भवन में यहां पूजा की शुरुआत हुई थी. आज समाज के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण संभव हो सका है. माता की असीम कृपा भक्तों पर बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जो सच्चे मन से माता के शरण में पहुंचते हैं. उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है.
1954 में हुई थी पूजा की शुरुआत: 1954 ई में स्व जगदेव महतो के द्वारा पूजा की शुरुआत गिलेशन बाजार में हुई है. यह पूजा बाटा चौक से चूड़ी बाजार जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे अभी प्रकाश इलेक्ट्रिक के पास शुरू हुई थी. उस समय बंगाल के रहने वाले सुकुमार मिश्र के सहयोग से बंगाली दुर्गा पूजा पद्धति से पूजा की शुरुआत की गयी थी. उस समय कोलकाता से सजावट का पूरा सामान लाया गया था. प्रतिमा बनाने के लिए मोनू पंडित आये थे.
नौ रात तक होता है जागरण : भक्तों के लिए नौ रात जागरण करवाया जाता है. पूजा समिति के अध्यक्ष जगन्नाथ महतो ने बताया कि जागरण में जाने माने कलाकार दरभंगा, समस्तीपुर, पटना, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी एवं अन्य जगह की कलाकार आते हैं.
अप्रैल में था जर्जर, आज कैसे है सुरक्षित
इसे आदेश का खेल कहें या फिर करिश्मा. जिस नगर भवन को जिला प्रशासन ने भूकंप के कारण अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया था उसी नगर भवन में राज्यस्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है.
अगर भवन सही था तो इसे क्यों बंद रखा गया और यदि सही में भवन जर्जर है तो बैडमिंटन का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता कैसे आयोजित किया गया. अनुमंडल पदाधिकारी शाहिद परवेज का कहना है कि अभियंताओं की टीम ने नगर भवन को बैडमिंटन प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह सुरक्षित पाया है. नगर भवन परिसर में ही जिला परिवहन कार्यालय भी चल रहा है जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं. हर क्षण लोगों की भीड़ लगी रहती है. फिर कैसे नगर भवन को बंद रखा गया.
दूसरा सवाल यह भी है कि जब नगर भवन सुरक्षित है या मरम्मत कराकर काम चलाया जा सकता है तो फिर क्यों सर्वशिक्षा अभियान कार्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया.