दरभंगा : डीएमसीएच के सर्जिकल भवन से सोमवार को फूलो नाम के मरीज इमरजेंसी वार्ड की ओर आ रहा था. मरीज के हाथ मेें इंट्राकैथ (स्लाइन चढ़ानेवाला यंत्र) लगा था.
मरीज को स्लाइन चढ़ रहा था और स्लाइन की बोतल मरीज के पुत्र हाथ ऊपर किये पकड़े चल रहा था. इस प्रकार मरीज एक हाथ से अपने कपड़े को संभाले थे और दूसरे हाथ में चढ़ रहे स्लाइन से काफी थके महसूस कर रहे थे.
इसके साथ ही मरीज को तीसरे तल्ले से नीचे उतरना और फिर पैदल चलना उसे लाचार बना दिया था. इस स्थिति में अपने पिता को देख मरीजे के पुत्र को दोहरी चिंता सता रही थी.
एक तरफ ऊपरी मंजिल से पैदल ही अपने बीमार पिता को संभालना और दूसरे हाथ से स्लाइन को गतिशील बनाये रखना काफी परेशानी का सबब था. ऐसी स्थिति में मरीज इमरजेंंसी वार्ड के डॉक्टर्स चैम्बर्स के समक्ष पहुंचा. अंतत: थक हार कर मरीज वहां बैठ गया. लेकिन फिर भी उसके पुत्र स्लाइन को हाथ में रख ऊपर लटकाये खड़ा था.
आते जाते लोग इस स्थिति को देख भौचक थे. लोगों के मुंह से सहसा यही निकल रहा था क्या यही यहां की चिकित्सा व्यवस्था है? परिजन बोलेमरीज के पुत्र ने बताया कि उनके पिता को 9 अक्टूबर को सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था.
डाक्टरों ने मरीज को मेडिसिन विभाग में रेफर कर दिया साथ ही मरीज को ओपीडी के मेडिसिन विभाग में दिखाने की सलाह दी. उनके पुत्र ने कहा कि ओपीडी के मेडिसिन विभाग में डाक्टर नहीं हैं.
पुत्र ने कहा कि उनके एक परिजन पुर्जा लेकर डाक्टर को खोजने के लिए गये हैं. उन्होंने कहा कि इधर मरीज की हालत बिगड़ती जा रही है और स्लाइन पकड़े पकड़े उनका हाथ भी जवाब दे रहा है.
ऐसे मरीज के लिए क्या है व्यवस्था नाम नहीं छापने पर एक डाक्टर ने बताया कि मरीजों के वार्ड में डाक्टर्स ऑन कॉल किया जाता है. डाक्टर यहां आते हैं और मेडिसिन वार्ड में भर्ती कर चले जाते हैं. इसके बाद ट्रॉली मैन मरीज को ट्रॉली पर लादकर मरीज को मेडिसिन वार्ड पहुंचा देते हैं. लेकिन यह व्यवस्था डीएमसीएच को शर्मसार कर रही है.