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मोनोग्राम—फितरे के बाद ही कबूल होगा रोजा

रमजान पर विशेषढाई किलो गेहूं दान से होगा फितरा कबूलदरभंगा. फितरा रोजे का सदका है. इससे गरीब से गरीब लोग भी अपने लिए ईद की खुशियां बटोर सकते हैं. फितरा निकालना हर मुसलमान पर फर्ज है चाहे वह एक दिन का नवजात ही क्यों नहीं हो. फितरे में ढाई किलों गेहूं या इसका मूल्य अपने […]

रमजान पर विशेषढाई किलो गेहूं दान से होगा फितरा कबूलदरभंगा. फितरा रोजे का सदका है. इससे गरीब से गरीब लोग भी अपने लिए ईद की खुशियां बटोर सकते हैं. फितरा निकालना हर मुसलमान पर फर्ज है चाहे वह एक दिन का नवजात ही क्यों नहीं हो. फितरे में ढाई किलों गेहूं या इसका मूल्य अपने पड़ोस के गरीब लोगों को दान किया जाता है. इदीसशरीफ में आया है कि जो लोग फितरा का अनाज या इसका मूल्य ईद से पहले नहीं निकालते हैं उनका रोजा जमीन व आसमान के बीच हवा में झुलता रहेगा. फितरा अदा करने के बाद ही अल्लाह पाक रोजा को कबूलियत बख्शता है. उलेमाओं का कहना है कि परिवार के मुखिया पर फर्ज है कि वह अपने आश्रितों का फितरा निकालें. फितरे से ईद के दिन गरीबों के शरीर पर नये कपड़े आ जाते हैं और सेवइयों की भी व्यवस्था हो जाती है. फितरा केवल रोजेदारांे को ही नहीं निकालना है. जो बच्चे हैं नवजात हैं या फिर बूढे हैं उनके नाम का भी फितरा निकालने का हुक्म हदीश शरीफ में आया है. यहां तक की जो लोग भीख मांगते हैं उनको भी ढाई किलो गेहूं यह इसके मूल्य की राशि देनी है. फितरा निकालते समय पहले अपने सगे संबंधियों को देखना है जो लोग मोहताज है, उनको यह राशि देनी है. उसके बाद अपने पड़ोस में रहनेवाले गरीब लोगों के बीच फितरे की राशि वितरित की जा सकती है लेकिन यह अनिवार्य है कि ईद की नमाज से पूर्व फितरे की राशि अवश्य निकाल दें.

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