बहेड़ी . एक बार फिर पारा उपर चढने तथा मानसून के आने में हो रहे विलंब से किसानों में सूखे की चिंता सताने लगी है. मानसून की आस में अधिकतर किसानों ने अभी तक खरीफ एवं अगहनी धान के बिचड़े खेतों में नहीं गिराये हैं. मानसून की बारिश के आशा में कुछ चुनिंदा किसानों ने धान के साथ मरुआ के बिचड़ा गिराये भी, तो उसकी पटवन में उन्हें पसीने छूट रहे हैं. कल से मौसम का मिजाज एक बार फिर गर्म हो गया है. तापमान 36 से उपर चले जाने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. बीच बीच में बादल को देख कर लोग मेधा पानी दे , मौला पानी दे के गीत गुन गुनाने लगते हैं. लेकिन मौसम के मिजाज पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. संभावित सूखे को देखते हुए प्रशासनिक कार्रवाई भी शून्य है. करीब दो दर्जन राजकीय नलकूपों में अधिकतर बंद है. इक्का दुक्का नलकूप चालू हालत में है भी तो नाला एवं बिजली को लेकर किसान इसका कोई फायदा नही उठा पा रहे हैं. अन्य वे नलकूप जो 1975 में आपातकालीन योजना के तहत गाड़े गए थे, वे खंडहर में तब्दील हो गये हैं.
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एक बार फिर सताने लगी सूखे की चिंता
बहेड़ी . एक बार फिर पारा उपर चढने तथा मानसून के आने में हो रहे विलंब से किसानों में सूखे की चिंता सताने लगी है. मानसून की आस में अधिकतर किसानों ने अभी तक खरीफ एवं अगहनी धान के बिचड़े खेतों में नहीं गिराये हैं. मानसून की बारिश के आशा में कुछ चुनिंदा किसानों ने […]
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